पिता की थी छोटी सी खैनी की दुकान: यूपीएससी पास कर अफसर बना बेटा, इनकम टैक्स में डिप्टी कमिश्नर के पद पर है आसीन

Update: 2021-09-25 10:20 GMT

पटना/नवादा. संघ लोक सेवा आयोग यानी Union Public Service Commission की सिविल सेवा परीक्षा के अंतिम परिणाम में बिहार के अभ्यर्थियों ने एक बार फिर बड़ी सफलता हासिल की है. टॉप 10 में ही बिहार के तीन अभ्यर्थी शामिल हैं. इनमें टॉपर बिहार के शुभम कुमार (IAS Topper Shubham Kumar) बने हैं जो कटिहार के रहने वाले हैं. इसी तरह जमुई चकाई के प्रवीण कुमार 7वीं रैंक (IAS 7th Ranked Praveen Kumar) लाए हैं जबकि समस्तीपुर के सत्यम गांधी (10th Ranked Satyam Gandhi) ने 10वां स्थान पाया है. ऐसे ही कई प्रतिभावान बिहारी युवाओं ने सफलता के सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की है. इन्हीं में से एक नाम है नवादा के निरंजन कुमार (Niranjan Kumar From Nawada) का.

निरंजन को इस बार 535वीं रैंक मिली है, जबकि 2017 में 728 रैंक मिली थी. निरंजन वैसे हजारों-लाखों बिहारी युवाओं में से एक हैं जिन्होंने काफी कठिन संघर्ष के बाद सफलता पाई है. निरंजन को इस जगह तक पहुंचने के लिए बहुत ही कठिन रास्तों से गुजरना पड़ा. कभी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया तो कभी कई-कई किलोमीटर पैदल चलकर कोचिंग जाते थे. फिलहाल निरंजन भारतीय राजस्व सेवा में बड़े अधिकारी हैं. इस बार जब उन्होंने पिछली रैंकिंग से काफी बेहतर परिणाम पाया तो उनकी खुशी का ठिका नहीं रहा.
बिहार के नवादा जिले के पकरीबरमा गांव के रहने वाले निरंजन कुमार ने जब यूपीएससी की तैयारी करने की सोची तो ये उनके लिए आसान नहीं था। उनके घर की माली स्थिति ठीक नहीं थी। पिता की एक छोटी सी खैनी का दुकान थी, जिससे किसी तरह से घर चल रहा था। चार भाई-बहनों की पढ़ाई लिखाई का इंतजाम करना परिवार के लिए काफी मुश्किल था, लेकिन इसके बाद भी ना तो परिवार ने निरंजन का साथ छोड़ा और ना ही निरंजन ने हार मानी।
दक्षिणी बिहार के नवादा जिले के पकरीबरमा के रहने वाले निरंजन की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी. पिता छोटी सी खैनी की दुकान चलाते थे. पढ़ाई का खर्च उठाना भी मुश्किल था. अपनी प्रतिभा के बल पर जब निरंजन का नवोदय विद्यालय में जुने गए तो उनकी पढ़ाई सुचारू ढंग से चलने लगी. मैट्रिक पास करने के बाद पटना से इंटर की पढ़ाई की. पटना में रहना आसान नहीं था और घर की माली हालत अच्छी नहीं थी. पर निरंजन हौसला नहीं छोड़ा और उन्होंने बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया.
निरंजन बच्चों को पढ़ाने के साथ ही स्वयं भी कोचिंग करते थे. इसके लिए उन्हें कई-कई किमी पैदल चलना पड़ता था. तब जाकर वे यूपीएससी की पढ़ाई शुरू कर पाए. 12वीं के बाद उनका सेलेक्शन आईआईटी के लिए हो गया. यहां से परिवार को कुछ उम्मीद बंधने लगी थी. इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद उन्हें कोल इंडिया में नौकरी मिल गई. इसके बाद निरंजन की शादी भी हो गई, लेकिन निरंजन का सपना तो आईएएस बनने का था. जिसके लिए एक बार फिर से वो तैयारी करने में जुट गए.
निरंजन का हौसला और उनकी प्रतिभा एवं मेहनत ने रंग दिखाया. इंजीनियर ने 2016 में यूपीएससी (UPSC) निकाल लिया. हालांकि रैंक के हिसाब से तब उन्हें आईआरएस (IRS) के लिए चुना गया. यूपीएससी निकालने के बाद निरंजन ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए अपने पिता की छोटी सी दुकान पर भी बैठा करते थे. पिताजी जब बाहर जाते थे तो वो भी खैनी बेचते थे. सबसे खास बात यह है कि निरंजन के पिता अभी भी खैनी की दुकान चलाते हैं. निरंजन की कामयाबी को इस बार के टॉपर शुभम कुमार की सर्वोच्च सफलता से आप जोड़ सकते हैं.
दरअसल एक इंटरव्यू में जब शुभम कुमार से सवाल किया था कि आईआईटी करने के बाद नौकरी के बेहतरीन मौके छोड़कर वे सिविल सर्विस में क्यों आना चाहते हैं? तब शुभम की जुबान से वह बात निकली जो हजारों-लाखों बिहारी युवाओं के दिल में होती है. तब शुभम ने यूएनएकैडमी से एक ऑनलाइन इंटरव्यू में कहा था- बिहार की हवा में ही होती है …..सब लोग बोलते हैं कि आईएएस करना एक दिन…तो बचपन से ही एक सपना था कि एक दिन तैयारी करनी है. निरंजन ने भी अपने इसी जुनून को अंजाम तक पहुंचाया और आज फिर उन्होंने सफलता हासिल कर माता-पिता संग पूरे बिहार का नाम रौशन किया है.


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