किसान नेता राकेश टिकैत बोले- 'केंद्र बातचीत को नहीं तैयार, हम 22 जुलाई को दिल्ली जाएंगे और संसद के बाहर बैठेंगे'

भारतीय किसान यूनियन (BKU) नेता राकेश टिकैत आसानी से हार मानने को तैयार नहीं हैं,

Update: 2021-07-13 12:32 GMT

भारतीय किसान यूनियन (BKU) नेता राकेश टिकैत आसानी से हार मानने को तैयार नहीं हैं, दरअसल कई महीनों से तीन कृषि बिलों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान 22 जुलाई को संसद के बाहर एक और प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं. इस बात की जानकारी देते हुए, भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने मंगलवार को कहा कि केंद्र बातचीत को तैयार नहीं हम 22 जुलाई को दिल्ली जाएंगे और संसद के बाहर बैठेंगे.

टिकैत ने कहा कि मॉनसूम सत्र के दौरान भी किसानों का विरोध जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि केंद्र इस मुद्दे पर बातचीत करने को तैयार नहीं है लेकिन हम 22 जुलाई को दिल्ली जाएंगे और संसद के बाहर बैठेंगे. उन्होंने कहा कि इस बीच मानसून सत्र के अंत तक हर दिन प्रत्येक किसान संगठन के 5 सदस्य, कुल मिलाकर कम से कम 200 किसान संसद के बाहर तीन कृषि कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे.


दूसरी ओर, संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने सोमवार को कहा कि पंजाब के विभिन्न हिस्सों से किसानों ने मानसून सत्र के दौरान संसद भवन के बाहर योजनाबद्ध विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है. SKM ने कहा कि हमने पहले ही 22 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र के दौरान विरोध प्रदर्शन करने की योजना की घोषणा की थी. अब लुधियाना, संगरूर, मानसा, बठिंडा, बरनाला, रोपड़, फाजिल्का और फरीदकोट सहित अलग अलग जिलों के दर्जनों कारवां सिंघू और टिकरी बॉर्डर के लिए पहले ही रवाना हो चुके हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों के अधिकारों के लिए संसद में आवाज उठाने के लिए 17 जुलाई तक विपक्षी दलों को चेतावनी पत्र भेजने की अपनी मंशा भी दोहराई.
किसान नेताओं से बातचीत करने की पेशकश
वहीं दूसरी तरफ हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बार फिर प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं से बातचीत करने की पेशकश की थी. उन्होंने किसान नेताओं से अपील की थी कि अपना प्रदर्शन खत्म करें और बातचीत करें. उन्होंने कहा था कि सरकार बातचीत करने के लिए तैयार है. कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि उपज मंडी समितियां (APMC) और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद प्रणाली बनी रहेगी और इसे और मजबूत किया जाएगा.
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