किसान को मिला 90 रुपये मुआवजा, बीमा कंपनी के खिलाफ फूटा लोगों का गुस्सा

Update: 2022-11-29 04:29 GMT

सोर्स न्यूज़   - आज तक  

मुंबई। महाराष्ट्र के अकोला में खरीफ मौसम में ज्यादा बारिश होने से सोयाबीन-तुवर की दाल समेत कई अन्य फसलों को भारी नुकसान हुआ है. किसान अपनी फसलों का सही मुआवजा मिलने के लिए बीमा कंपनी का प्रीमियम भरते हैं. अब फसल के तबाह होने पर जब किसान मुआवजे के लिए आवेदन कर रहे हैं तो उन्हें प्रीमियम से भी कम पैसा दिया जा रहा है. हाल में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें फसलों का सरकारी सर्वेक्षण कराने के बाद बीमा कंपनी ने 800 से ज्यादा प्रीमियम भरने वाले किसान महेश को महज 90 रुपये मुआवजा दिया, जबकि सरकारी अनुमान के मुताबिक उसे करीब 11,000 रुपये आर्थिक मदद मिलनी चाहिए थी. महेश के अलावा ऐसे कई और पीड़ित किसान हैं. एक किसानों को ₹155 तो किसी को ₹360 मुआवजा मिला है. हालांकि कि इन किसानों ने ये पैसा लेने से मना कर दिया है.

प्रभाकर घोगरे के किसान अकोला के टाकली गांव में रहते हैं. उन्होंने 2 एकड़ में तुवर की फसल लगाई थी. इसका उन्होंने फसल बीमा भी कराया. इसके लिए उन्होंने ₹844 प्रीमियम भरा था. जब बारिश हुई तो उनकी फसल खराब हो गई. इसके बाद उसने बीमा क्लेम किया. एक टीम ने उनके नुकसान की भरपाई के लिए सर्वे किया.

महीनों सर्वेक्षण के बाद उनके बैंक खाते में 90.72 रुपये जमा हुआ तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. किसान ने दूसरे किसानों से बात की तो पता चला कि वह अकेला नहीं है. किसी के बैंक खाते में ₹155 तो किसी के अकाउंट में ₹360 मुआवजा भेजा गया है. यह रकम प्रीमियम की करीब 10 से 12 फीसदी ही है.

किसान पुंडलिक पाटिल ने कहा- मैंने भी बीमा कंपनियों से नुकसान की भरपाई के लिए आवेदन किया है. अब दूसरे किसानों की इतनी कम रकम आई तो मेरी रकम क्या आएगी? अगर मुझे भी इतना पैसा मिला तो मैं अपने लिए एक शर्ट भी नहीं खरीद पाऊंगा.


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