रो पड़े मशहूर शायर मुनव्वर राणा, जब मिली पीएम मोदी की मां के निधन की सूचना
दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा ने 30 दिसंबर को ही 100 वर्ष की उम्र में आखिरी सांसे लीं. इस दौरान जब पूरे देश मे गम का माहौल व्याप्त था, तो ऐसे में मां पर शायरी करने वाले देश के मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने भी पीएम मोदी की मां को श्रद्धांजलि दी. शायर मुनव्वर राणा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को याद करते हुए श्रद्धांजलि के तौर पर शेर और आंखें नम कर देना वाले किस्से सुनाए और कहा कि उन जैसे विचारधारा के लोग यह नहीं कह सकते हैं कि मोदी जी की मां नहीं रही. बल्कि हम अपनी शायराना जुबान में कह सकते हैं कि आज फिर मेरी मां का देहांत हो गया. मां तो मां होती है, यादों के एल्बम जब हम खोलते हैं तो कभी-कभी पन्ना पलटते-पलटते सवेरा हो जाता है.
मुनव्वर राणा कहते हैं कि, 2015 में मेरी मां जब गुजरी तो मैं बहुत बड़ी शख्सियत नहीं था, उसके बावजूद भी मोदी जी ने मुझे एक पन्ने का संवेदना व्यक्त करते हुए खत लिखा और उसके के बाद जब हम लोगों की भेंट हुई और जब मैंने उन्हें 'मां' नामक अपने द्वारा लिखी गई किताब भेंट की. उस वक्त पीएम मोदी ने मुस्कुराते हुए कहा कि, यह किताब वे 2009 में गुजरात में पढ़ चुके हैं. मुनव्वर राणा ने पुराना वक्त याद करते हुए कहा कि हम लोगों की काफी देर गुफ्तगू हुई लेकिन इस गुफ्तगू में कोई सियासी बातें नहीं हुईं.
मुनव्वर राणाा ने बातचीत में बताया कि, जब वह किसी काम के लिए रायपुर गए थे तब उन्होंने मोदी जी को बताया कि जब वह रायपुर में थे तो अचानक खबर आई कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सब प्रोटोकॉल तोड़कर नवाज शरीफ की मां से भेंट कर उनके चरणों को छुए. उस वक्त मुझे रायपुर की मीडिया ने घेर लिया और कहा राणा साहब आप हमेशा विचारधाराओं के झगड़े में रहते हैं अब आप क्या कहेंगे? तो मैंने उनसे कहा कि बात यहां मोदी जी की नहीं है बात यहां हिंदुस्तान की है. यह काम सिर्फ हिंदुस्तान का आदमी ही कर सकता है. यह कल्चरल और संस्कार जब मां अपने बच्चे को दूध पिलाती है तब उसके सीने में बो देती है.
राणा ने बताया कि इस मुल्क की बदनसीबी यह है कि अगर 1947 में बंटवारे के वक्त नेहरू और जिन्ना की माएं भी बैठ गई होतीं तो शायद बंटवारा नहीं हुआ होता. उन्होंने आगे कहा, मां का इस दुनिया से चले जाना बहुत तकलीफ दायक होता है. अब तो यही कहा जा सकता है कि मोदी जी को कदम फूंक-फूंक कर रखना होगा. इसलिए क्योंकि अब तो वह मां भी नहीं रही जिसकी दुआएं उनको बचा लेती थी. मोदी जी को कदम फूंक-फूंक कर रखना होगा दोस्त और दुश्मन को पहचानने के लिए, वह ऐनक (चश्मा) जिंदगी की लगानी पड़ेगी, जिससे जिंदगी एकदम साफ दिखाई देती हो.
मुनव्वर राणा बोले, मुझसे अक्सर लोग कहते हैं कि जनाब अपने मां पर तो शायरी की लेकिन बाप पर नहीं की तो मैं कहता अगर मां नहीं होती तो बाप कहां से होता? मां जिंदा रहे या ना रहे लेकिन वह हमेशा साथ में रहती है. मेरा एक शेर है कि,'जब भी कश्ती मेरी सैलाब में जाती है तो मां दुआ करते हुए ख्वाब में आ जाती है' मेरी मां भी 2015 में चली गई. मैं यही जानता हूं कि मुसीबत के वक्त मां, अल्लाह खुदा और भगवान से आंख मिलाकर खड़ी हो जाती है और कहती है कि, मैंने तेरी इस रचना को 9 महीने अपने पेट में पत्थर की तरह रखा, अगर तू इसे तकलीफ देगा.