परिवारवाद: केरल के सीएम ने दामाद को बनाया मंत्री, पार्टी के भीतर बवाल

Update: 2021-05-20 03:01 GMT

फाइल फोटो 

वामपंथी दल उच्च राजनीतिक मूल्यों पर आधारित राजनीति करने की बात तो करते हैं लेकिन जब मौका आता है तो इन्हीं मूल्यों पर खरा नहीं उतरते हैं। अन्य राजनीतिक दलों की तरह ही वामपंथ पर भी परिवारवाद हावी होने लगा है। इतना ही नहीं पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो रहा है तथा केरल में पार्टी एक व्यक्ति पर केंद्रित होकर रह गई है जिसके फैसलों पर सवाल नहीं उठाए जा सकते हैं।

केरल में 40 सालों के बाद लगातार दोबारा सत्ता में आकर वामपंथी दलों ने एक नया रिकॉर्ड तो बनाया है। लेकिन दोबारा मुख्यमंत्री बने पिनराई विजयन अपने दामाद पीए मोहम्मद रियाज को मंत्री बनाकर घिर गए हैं। जबकि पिछले कार्यकाल में सफल स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा को दोबारा मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है। इन दोनों फैसलों को लेकर लेकर विजयन सोशल मीडिया पर तो निशाने पर आ ही गए हैं लेकिन पार्टी के भीतर भी इसे लेकर नाराजगी बताई जा रही है।
भाकपा नेता अतुल अंजान हालांकि इस मुद्दे पर विजयन का बचाव करते हुए कहते हैं कि दामाद यदि काबिल है तो उसे मंत्री बनाने में कोई हर्ज नहीं है। यह फैसला योग्यता के आधार पर लिया गया है। वह सक्रिय युवा नेता हैं। इसे दूसरे दलों में हावी भाई-भतीजावाद की भांति नहीं देखा जा सकता है। इसी प्रकार उन्होंने नई कैबिनेट बनाई है जिसमें नए चेहरों को तवज्जो दी गई है।
दूसरी तरफ पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि एक मुख्यमंत्री के लिए अपने दामाद को मंत्रिंमडल में शामिल करना वामंपथी राजनीतिक मूल्यों के विरुद्ध है। यदि यह तर्क स्वीकार भी कर लिया जाए कि मंत्रिमंडल में नए चेहरों को तवज्जो दी जा रही है, तो 99 विधायकों में से दामाद का चयन साफ-साफ परिवारवाद को बढ़ावा देना दर्शाता है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।
जानकारों का मानना है कि केरल ईकाई में पिनराई विजयन अब सर्वेसर्वा हैं। दूसरी बार लगातार जीत ने उन्हें मजबूत बना दिया है। सही मायने में उनके फैसलों पर केंद्रीय नेतृत्व भी सवाल उठाने की स्थिति में नहीं है। लेकिन इसके दूरगामी असर होंगे तथा पहले से सिमट रहे वामदलों के लिए इस तरह के कदम आने वाले समय में आत्मघाती साबित होंगे। बता दें कि अपने निर्णयों को लेकर वामदल लगातार सवालों में आ रहे हैं। हाल में पश्चिम बंगाल चुनावों में धर्मनिरपेक्षता का दम भरने वाले वामदलों ने कट्टरपंथी संगठन आईएसएफ से हाथ मिला लिया था।
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