आत्महत्या करने वाले कोरोना मरीजों के परिवार को भी मिलेगा मुआवजा, मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि पॉजिटिव पाए जाने के 30 दिनों के भीतर आत्महत्या से मरने वालों का परिवार भी सरकार से सहायता राशि पाने का हकदार होगा. इस बावत केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. ऐसे परिवारों को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा.
इस मुआवजे को पाने के लिए वैसे मृत्यु प्रमाणपत्र जहां कोविड से मौत का स्पष्ट जिक्र है को वैद्य दस्तावेज माना जाएगा. इसके अलावा इन दिशानिर्देशों के लागू होने या जिला स्तरीय समिति द्वारा संशोधित किए गए किसी भी मृत्यु को 'कोविड-19 के कारण मृत्यु' मानने के लिए जारी मृत्यु प्रमाणपत्र को वैध दस्तावेज के रूप में माना जाएगा.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा है कि मृतकों के परिवार को जिलास्तरीय कमेटी के सामने अपने केस को उठाने की छूट दी जाएगी. ये परिवार कमेटी के सामने अपनी आपत्ति जताते हुए कह सकता है कि 3 सितंबर को जारी दिशानिर्देशों के अनुसार उसके सगे संबंधी की मौत कोरोना की वजह से हुई थी. लेकिन मृत्यु प्रमाण पत्र पर मौत की वजह 'कोरोना से मृत्यु' नहीं है और इसके जगह पर दूसरा कारण लिखा हुआ है. ऐसा परिवार अपनी समस्या को जिलास्तरीय शिकायत निवारण समिति के सामने उठा सकता है.
सरकार ने कहा है कि राज्य द्वारा ऐसे शिकायत निवारण समिति के गठन की समय-सीमा 30 दिनों के रूप में निर्धारित की जा सकती है जिसके लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा उपयुक्त निर्देश जारी किए जा सकते हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून के अपने फैसले में कहा था कि सरकार को कोविड-19 महामारी से हुई मौतों के मामले में मुआवजा देना होगा. अदालत ने कहा था कि प्राकृतिक आपदा से हुई मौत के मामले में 4 लाख का मुआवजा सुनिश्चित है. लेकिन कोरोना से हुई मौतें इस श्रेणी में नहीं आती हैं. अदालत ने कहा था कि राज्य सरकारें मुआवजे की राशि तय कर लें लेकिन उन्हें कुछ रकम देनी ही होगी.
इस पर केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि देश में कोरोना से हुई हर मौत के मामले में परिजनों को 50 हजार का मुआवजा मिलेगा. कोर्ट को बताया गया कि ये रकम राज्य यानी स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड की तरफ से दी जाएगी. लेकिन राज्य सरकारों के सामने परेशानी कोरोना से हुई मौत की पहचान की है.
गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अस्पताल मृत्य प्रमाण पत्र नहीं जारी करते हैं अगर अस्पताल के डिस्चार्ज सारांश में मौत की वजह हार्ट अटैक लिखा रहा तो क्या होगा. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि पीड़ित परिवार जिला स्तरीय कमेटी जा सकती है वहां से नया मृत्यु प्रमाण पत्र लिया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि वो बताए कि कि जिला स्तर पर बनने वाली कमेटी में कौन कौन लोग होंगे.