फर्जी मुठभेड़: 34 पूर्व कांस्टेबलों की जमानत याचिका हाई कोर्ट ने किया खारिज

Update: 2022-05-27 01:03 GMT

यूपी। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने 1991 में एक कथित फर्जी मुठभेड़ में 10 सिखों की हत्या के आरोपी PAC के 34 पूर्व कांस्टेबलों की जमानत याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि आरोपी पुलिस ने निर्दोष व्यक्तियों की बर्बर और अमानवीय हत्या कर दी थी. कोर्ट ने कहा कि इसके अलावा, यदि मृतकों में से कुछ असामाजिक गतिविधियों में शामिल थे और उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे, तो भी कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए था.

न्यूज एजेंसी के अनुसार न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बृज राज सिंह की खंडपीठ ने 2016 में लखनऊ में एक विशेष सीबीआई अदालत द्वारा दी गई सजा और सजा के खिलाफ अपीलकर्ताओं द्वारा व्यक्तिगत रूप से दायर की गई जमानत याचिकाओं पर फैसला करते हुए आदेश पारित किया. कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तारीख 25 जुलाई तय की है.

अभियोजन मामले के अनुसार 12 जुलाई 1991 को पीलीभीत जिले की उत्तर प्रदेश पुलिस की एक टीम ने पीलीभीत के पास सिख तीर्थयात्रियों की एक बस को रोका था. PAC ने 10-11 सिख युवकों को बस से नीचे उतारकर अपनी नीली पुलिस बस में बिठाया और कुछ पुलिस कर्मी बाकी तीर्थयात्रियों के साथ बस में बैठ गए. इसके बाद बाकी तीर्थयात्री पुलिस कर्मियों के साथ दिन भर तीर्थयात्रियों वाली बस में घूमते रहे और उसके बाद रात में पुलिसकर्मी पीलीभीत के एक गुरुद्वारे में बस को छोड़ गए. इसके बाद पुलिस ने दस सिख युवकों को मार डाला. 11वें बच्चा के ठिकाने का पता नहीं चल सका और उसके माता-पिता को राज्य द्वारा मुआवजा दिया गया.

शुरू में पीलीभीत पुलिस द्वारा जांच की गई थी, और एक क्लोजर रिपोर्ट दर्ज की गई थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मुठभेड़ से जुड़ी घटना की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपी है. सीबीआई ने 57 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, लेकिन सुनवाई के दौरान 10 लोगों की मौत हो गई थी. विशेष सीबीआई न्यायाधीश ने 47 आरोपियों को आपराधिक साजिश और आईपीसी की अन्य धाराओं के साथ धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया।


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