बेंगलुरु पुलिस ने सोमवार को चार लोगों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने फर्जी कोरोना निगेटिव सर्टिफिकेट के जरिए 66 वर्षीय उस दक्षिण अफ्रीकी व्यक्ति को देश से बाहर जाने में मदद की, जो कि देश में ओमिक्रॉन का पहला मरीज था। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में दो बेंगलुरु के प्राइवेट लैब के कर्मचारी हैं जबकि दो उस प्राइवेट कंपनी के कर्मचारी हैं, जहां दक्षिण अफ्रीकी डायरेक्टर है। सरकार की ओर से यह बताए जाने के बाद कि मरीज ने फर्जी सर्टिफिकेट के सहारे देश छोड़ दिया है, पुलिस ने 5 दिसंबर को केस दर्ज किया था। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि एयरपोर्ट रोड स्थित लैब के कर्मचारियों फर्जी टेस्ट रिजल्ट तैयार करने के लिए गिरफ्तार किया गया, जबकि दो को 66 वर्षीय मरीज की ओर से सर्टिफिकेट तैयार कराने के लिए गिरफ्तार किया गया है।
डीसीपी सेंट्रेल एमएन अनुचेथ ने कहा, ''हमने चार लोगों को हिरासत में लिया है और आगे की जांच कर रहे हैं। जांच के बाद पता चलेगा कि क्या ये फर्जी सर्टिफिकेट बनाने के बड़े रैकेट का हिस्सा हैं या नहीं।'' वह व्यक्ति 20 नवंबर को बेंगलुरु पहुंचा और यहां उसकी कोविड-19 रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उसने खुद को संगरी ला होटल में आइसोलेट किया। फॉलो-अप प्रक्रिया के तहत जब सरकारी डॉक्टर उसे देखने पहुंचे तो पाया कि उसमें कोई लक्षण नहीं है। इसके बाद भी वह आइसोलेट था। लेकिन पुलिस ने पाया कि वह 24 नवंबर को बोर्डरूप मीटिंग में गया था।
उसका सैंपल जीनोम स्वीक्वेंसिंग के लिए भेजा गया, क्योंकि वह जोखिम वाले देश से आया था। एक दिन बाद 23 नवंबर को उसने एक प्राइवेट लैब में जांच कराई और उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई। उसने अधिकारियों को जानकारी दिए बिना 27 नवंबर को देश छोड़ दिया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जिन्हें दक्षिण अफ्रीकी को ट्रेस करने का काम दिया गया था, ने कहा कि 27 नंवबर को स्वास्थ्य विभाग ने पुलिस से मरीज का पता लगाने को कहा। पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर पुलिस अधिकारी ने कहा, ''उस रात हमने उसे ट्रैक किया और उस समय उसका जो लोकेशन मिला उसके मुताबिक दुबई की फ्लाइट ले चुका था। 2 दिसंबर को स्वास्थ्य विभाग ने उसे देश का पहला ओमिक्रॉन संक्रमित बताया।