कोच्चि: कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल ही में कहा था कि पार्टी के लिए यह वक्त चुनौतीपूर्ण है और उससे निपटने के लिए एकजुटता जरूरी है। हालांकि ऐसा होता नहीं दिख रहा है। पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में कलह का सामना कर रही कांग्रेस अब केरल में भी गुटबाजी और बगावत का शिकार होती दिख रही है। केरल के सीनियर नेता केवी थॉमस ने सीपीएम की ओर से आयोजित सेमिनार में शामिल होने का फैसला लिया है, जबकि हाईकमान ने इस पर रोक लगाई थी। कांग्रेस नेतृत्व के सख्त दिशा निर्देशों को नजरअंदाज करते हुए केवी थॉमस ने गुरुवार को ऐलान किया कि वह सत्तारूढ़ माकपा द्वारा पार्टी कांग्रेस के तौर पर कन्नूर में आयोजित किए जा रहे सेमिनार में भाग लेंगे।
बहरहाल थॉमस ने यह स्पष्ट किया कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, 'मैं माकपा के राजनीतिक कार्यक्रम में नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेने जा रहा हूं। मुद्दा मेरे लिए ज्यादा अहम है न कि राजनीति।' थॉमस के अलावा माकपा ने उत्तरी कन्नूर जिले में हो रही पार्टी कांग्रेस के तौर पर आयोजित किए जाने वाले सेमिनार में कांग्रेस सांसद शशि थरूर को भी आमंत्रित किया है। हालांकि जब थरूर ने इसमें भाग लेने की अनुमति मांगी तो अखिल भारतीय कांग्रेस समिति प्रमुख सोनिया गांधी ने उन्हें ऐसा करने से इनकार कर दिया।
पार्टी के आलाकमान ने थॉमस को भी ऐसे वक्त में वाम दल के कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया, जब सत्तारूढ़ और विपक्षी दल केरल में विभिन्न मुद्दों खासतौर से सिल्वरलाइन रेल गलियारे परियोजना को लेकर आमने-सामने हैं। केपीसीसी प्रमुख के. सुधाकरण ने उन्हें आगाह किया था कि अगर वह माकपा के सेमिनार में भाग लेते हैं तो उनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यही नहीं केरल यूनिट ने हाईकमान से भी बात की थी कि नेताओं पर रोक लगाई जाए कि वे सीपीएम के सेमिनार में शामिल न हों। इसके बाद ही हाईकमान ने ऐसा आदेश दिया था, लेकिन केवी थॉमस उस आदेश के बाद भी बगावत करने के मूड में हैं।