विशेषज्ञों ने बताया- सालाना वैक्सीन की हो सकती है जरूरत, नेजल वैक्सीन पर सबकी नजर

कोरोना (Corona) को लेकर भारत में टीकाकरण का पूर्वानुमान सकारात्मक है.

Update: 2022-02-13 17:30 GMT

कोरोना (Corona) को लेकर भारत में टीकाकरण का पूर्वानुमान सकारात्मक है. स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) के आंकड़ों के मुताबिक देश के 96 फीसदी वयस्कों को कम से कम COVID-19 वैक्सीन की पहली खुराक लग चुकी है और 77 प्रतिशत का पूरी तरह से टीकाकरण (vaccination) हो चुका है. स्वास्थ्य बुलेटिन में ये भी कहा गया कि एक करोड़ 61 लाख हेल्थ और फ्रंटलाइन वर्कर्स को एहतियाती डोज भी दिए जा चुके हैं. 15-18 वर्ष की आयु के लगभग 69 प्रतिशत किशोरों को टीके की पहली खुराक दे दी गई है जबकि 14 प्रतिशत को दोनों खुराक. हालांकि 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए टीकाकरण या एहतियाती खुराक का निर्णय वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर होगा.


गुरुवार को साप्ताहिक प्रेस वार्ता में एक सवाल के जवाब में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने कहा कि एहतियाती खुराक पर सभी निर्णय जरूरत के हिसाब से लिया जाता है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर ये तय होता है कि किसे पहले खुराक दी जाए, महामारी या तय कार्यक्रम के मुताबिक नहीं. केवल किसी और देश में ऐसा हो रहा है इसलिए हम ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि उनका अपना संदर्भ है और हमारा अपना. इन सभी को विज्ञान के तराजू पर परखा जा रहा है.नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन यानी NTAGI के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन की स्थिति पर टीवी9 भारतवर्ष के साथ पहले बात कर चुके हैं. भारत के लिए इसके निदान पर उन्होंने कहा कि जहां तक टीकाकरण की बात है हम बेहतर स्थिति में हैं, क्योंकि हमारी आबादी के अधिकांश हिस्से का टीकाकरण हो चुका है. युवा वर्ग के लिए भी हमारे पास कई टीके लाइन में हैं. हम देख सकते हें कि मार्च से इस युवा आबादी का टीकाकरण प्राथमिकता के आधार पर होने जा रहा है. हम ये जानने के लिए उत्सुक हैं कि कोरोनावायरस के नए वेरिएंट्स पर नाक में दिया जाने वाला टीका कितना कारगर होगा. कुछ टीका निर्माता अपने टीकों के निर्यात के विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं ताकि सभी देश एक साथ इस खतरे से लड़ सके.

क्या भविष्य में दो अलग-अलग टीकों को मिलाकर बूस्टर डोज की संभावना है? एलएनजेपी अस्पताल, नई दिल्ली में संक्रामक रोग विभाग के सलाहकार डॉ पीके सिंह ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है जिससे साबित हो कि इससे रोग पर ब्रेक लगाया जा सकता है. कुछ अध्ययन और वैज्ञानिकों के पास मौजूद आंकड़े ये दिखाते हैं कि वैक्सीन के मिक्सचर कोरोना के कुछ वेरिएंट्स पर ज्यादा कारगर हैं. हम भविष्य नहीं जानते, लेकिन अगर वैक्सीनों को मिलाने से बेहतर नतीजे आए तो हमारे तरकश में कई तरह के वैक्सीन रूपी तीर हो जाएंगे.

कोरोना के खिलाफ भारत के पास कौन-कौन सी है वैक्सीन

भले ही देश की आबादी के वैसे अधिकांश लोगों को वैक्सीन लग चुकी है, जो सरकारी नियमों के मुताबिक इसके योग्य हैं. फिर भी भारत कोरोना के खिलाफ प्रभावी टीकों के निर्माण को बंद नहीं कर सकता. वर्तमान में भारत के टीकाकरण अभियान में मुख्यतः तीन ही टीकों का इस्तेमाल हो रहा है- कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और स्पुतनिक-5. अब तक भारत ने 10 कोविड-19 टीकों को मंजूरी दी है, जिनमें स्पुतनिक लाइट सबसे नया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने नए टीकों को मंजूरी मिलने के बाद ट्वीट कर कहा था कि ये महामारी के खिलाफ देश की सामूहिक लड़ाई को और मजबूत करेगा.

NTAGI के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने इसकी सराहना की और कहा कि जल्द ही लोग ये टीके खरीद सकते हैं. उन्होंने कहा कि एक बार जब ये टीके खुले बाजार में उपलब्ध हो जाते हैं, तो आपके पास विकल्पों की भरमार होगी. कई टीकों को मंजूरी देने के पीछे यही विचार है. ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स और उसकी सहयोगी कनाडा की बायोटेक फर्म 'सेनोटाइज रिसर्च' ने बुधवार को कोविड-19 के गंभीर लक्षण वाले वयस्क रोगियों के इलाज के लिए नाइट्रिक ऑक्साइड वाला नाक का स्प्रे लॉन्च किया. इसके सहयोगी ने भारत में इसे फेबीस्प्रे ब्रांड के नाम से भारत में लॉन्च किया है. मुंबई की दवा कंपनी को पहले ही ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से नाइट्रिक ऑक्साइड नेजल स्प्रे के निर्माण और मार्केटिंग के लिए हरी झंडी मिल चुकी है. आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक 14 और ऐसे टीके हैं, जिनका इन दिनों भारत में क्लीनिकल ट्रायल किया जा रहा है.महामारी विशेषज्ञ डॉ. टी जैकब जॉन ने इस तथ्य पर जोर दिया कि टीकाकरण कोरोना रोग के लिए निदान का काम भी करने जा रहा है. उन्होंने कहा कि ये सबसे अच्छा तरीका नहीं है, लेकिन वायरस की गंभीरता और इसके वेरिएंट्स से लड़ने का ये एकमात्र तरीका है. हम देखेंगे कि वायरस वैश्विक महामारी की जगह केवल कुछ स्थानीय पॉकेट भर में रह जाएगा. मगर हमें इसके साथ रहना सीखना होगा. ऐसे में सालाना वैक्सीन इसका एक विकल्प हो सकता है.

हम भारत में कोविड टीकाकरण को लेकर क्या उम्मीद कर सकते हैं?

फरीदाबाद में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के अतिरिक्त निदेशक और पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ रवि शेखर झा ने टीवी9 भारतवर्ष को बताया कि देश अगले कुछ महीनों में कुछ और प्रभावी एंटीवायरल दवा आने की उम्मीद कर सकता है. उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि भारत में टीकाकरण अभियान बहुत सफल रहा है, क्योंकि शहरी आबादी के एक बड़े हिस्से को टीका लगाया जा चुका है और तीसरी लहर अपने आखिरी चरणों में है. आमतौर पर वैक्सीन का प्रभाव छह महीने तक होता है, ऐसे में हम आगे कुछ और बूस्टर डोज की उम्मीद कर सकते हैं.

गुरुवार को सरकार ने कहा कि भारत में बना पहला घरेलू मैसेंजर आरएनए कोरोना-19 वैक्सीन अपने क्लीनिकल ट्रायल के आखिरी चरणों में है. साप्ताहिक प्रेस वार्ता में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पुणे के जेनोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स में पूरी तरह से भारत में बनी वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के अंतिम चरण में है. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि ये जल्द ही इमरजेंसी इस्तेमाल और फिर सामान्य उपयोग के लिए लोगों के लिए उप्लब्ध होगी. उनके मुताबिक इस टीके को सामान्य तापमान पर कोल्ड चेन वाली स्थिति में रखा और ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है जो एक बड़ी बात है. हमारे पास एक बढ़िया विकल्प है. इसे कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट पर इस्तेमाल कर टेस्ट किया गया है, जिसके नतीजे हमारे पास जल्द ही होंगे. डॉ. पॉल ने कहा कि हमें मैसेंजर आरएनए वाली तकनीक से वैक्सीन बनाने की आवश्यकता है, क्योंकि दुनियाभर में ये काफी प्रभावी रहा है.

इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि ये एक और टीका है जो वास्तव में स्थापित करता है कि भारत एक वैक्सीन महाशक्ति बनने की ओर बढ़ चला है. ये टीके दूसरी बीमारियों पर भी काम करेंगे. भारत में इतने बड़े पैमाने पर कोरोना के टीका लगाए जा चुके हैं कि हम देख रहे हैं कि तीसरी लहर में अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति और मौत आने की स्थिति काफी कम हो रही है. द्वारका के HCMCT मणिपाल अस्पताल में पल्मोनोलॉजी विभाग के एचओडी और सलाहकार डॉ. पुनीत खन्ना ने भारत में टीकों की बढ़ती संख्या और उपलब्धता की तस्दीक की. उन्होंने कहा कि टीकाकरण की स्थिति में सुधार होना तय है. लोग बड़े स्तर पर ऐसी उम्मीद कर रहे हैं कि भारत सरकार आबादी के इतने बड़े हिस्से का टीकाकरण करवा देगी कि वो कोरोना के खिलाफ जंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

अमेरिका में टीकाकरण की स्थिति

अमेरिका में व्हाइट हाउस के मुख्य चिकित्सा सलाहकार एंटनी फौसी ने संकेत दिया कि अमेरिका में कोविड -19 के ओमिक्रॉन वेरिएंट से लड़ने के लिए वैक्सीन की चौथी बूस्टर खुराक की आवश्यकता हो सकती है. उन्होंने कहा कि ये बूस्टर डोज उम्र और व्यक्ति पर बीमारी के असर पर निर्भर कर सकता है. डॉ फौसी ने बुधवार को व्हाइट हाउस की ब्रीफिंग में कहा कि यहां पर एक और बूस्टर डोज की जरूरत पड़ सकती है. ये डोज मैसेंजर आरएनए वैक्सीन का हो सकता है, जो लोगों की उम्र और उनकी स्थिति के हिसाब से दिया जा सकता है.

इस बीच नोवावैक्स ने गुरुवार को दावा किया कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन 12 से 17 साल के बच्चों पर भी अध्ययन में सुरक्षित और प्रभावी साबित हुआ है. नोवावैक्स व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले वैक्सीनों से अलग प्रोटीन-आधारित वैक्सीन बनाता है, जिससे कोरोना पर प्रहार का एक और विकल्प दुनिया को मिल गया है. इस वैक्सीन को ब्रिटेन, यूरोप समेत कुछ और देशों के रेग्युलेटरों और विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी मिल गई है. अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन इसकी जांच परख कर रहा है. नए आंकड़े आने के बाद नोवावैक्स जल्द ही अपनी वैक्सीन का उपयोग 12 साल तक की उम्र के किशोरों पर करने की मांग कर सकता है. इस साल के अंत तक कंपनी और छोटे बच्चों पर इसके परीक्षण की तैयारी कर रही है. अमेरिका में 12 से 17 साल के 2,247 किशोरों पर इसका पिछली गर्मियों में परीक्षण हुआ, जिसमें दो डोज वाली ये वैक्सीन कोविड-19 को रोकने में 80 फीसदी तक कारगर साबित हुई.


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