आबकारी घोटाला: CBI का दावा, मनीष सिसोदिया ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के जरिए अपने हिसाब से मंगवाए ईमेल
अतुल कृषण
नई दिल्ली (आईएएनएस)| केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के संबंध में दायर अपने पूरक आरोपपत्र में कहा है कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शराब नीति के संबंध में टिप्पणी/सुझाव प्राप्त करने की प्रक्रिया में हेरफेर करने के लिए दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (डीएमसी) के अध्यक्ष जाकिर खान के माध्यम से कुछ ईमेल अपने हिसाब से मंगवाए थे।
सीबीआई ने दावा किया है कि सिसोदिया पूर्व आबकारी आयुक्त रवि धवन द्वारा 13 अक्टूबर 2020 को सौंपी गई विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों से खुश नहीं थे और नए आबकारी आयुक्त राहुल सिंह को जनता और हितधारकों से टिप्पणी प्राप्त करने के लिए आबकारी विभाग के पोर्टल पर रिपोर्ट डालने का निर्देश दिया।
इसके लिए आबकारी विभाग की एक विशेष ईमेल आईडी बनाई गई, जो इक्साइजडॉटपॉलिसीएटडेल्हीडॉटजीओवीडॉटइन थी।
सीबीआई ने आरोपपत्र में कहा है, सिसोदिया ने जनता और हितधारकों से टिप्पणियां मांगने की पूर्वोक्त प्रक्रिया में हेरफेर करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से डीएमसी के अध्यक्ष खान के माध्यम से कुछ ईमेल तैयार कराए जो डीएमसी के इंटर्न द्वारा इक्साइजडॉटपॉलिसीएटडेल्हीडॉटजीओवीडॉटइन पर भेजे गए थे। इनमें सिसोदिया की ईमेल आईडी पर भी एक प्रति भेजी गई थी।
सीबीआई का आरोप है कि सिसोदिया ने खान को हाथ से लिखा एक नोट दिया जिसमें नई आबकारी नीति के संबंध में सुझाव लिखे गए थे।
सीबीआई के मुताबिक, सिसोदिया ने खान से आबकारी विभाग के नए बने ईमेल पर कई ईमेल भेजने को कहा।
ये सुझाव जोन की नीलामी के माध्यम से खुदरा शराब लाइसेंस के आवंटन, उत्पाद शुल्क और वैट में कमी के साथ-साथ लाइसेंस शुल्क में वृद्धि और शराब की दुकानों की संख्या में वृद्धि के संबंध में थे।
आरोपपत्र में कहा गया है, यह साबित करता है कि आरोपी मनीष सिसोदिया आबकारी नीति के निर्माण के लिए पहले से सोचे गए विचारों के साथ काम कर रहा था और उसी के समर्थन में गढ़े हुए जनमत/सुझावों को थोप रहा था।