नई दिल्ली (आईएएनएस)| दिल्ली की एक अदालत ने आबकारी नीति मामले में राघव मगुंटा की जमानत याचिका खारिज कर दी है। जज ने कहा, अदालत का प्रथम दृष्टया मानना है कि जांच एजेंसी द्वारा धन शोधन के कथित अपराध में आवेदक की सक्रिय संलिप्तता दिखाने वाला मामला सही है और यह अदालत ने इसके विपरीत कुछ भी नहीं पाया है।
अदालत ने कहा कि जांच के दौरान सामने आए सबूत और परिस्थितियां प्रथम दृष्टया दर्शाते हैं कि आरोपी अवैध कमाई या अवैध कमाई के शोधन के लिए आपराधिक साजिश में भागीदार था।
अदालत ने कहा कि वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपराध की उक्त आय को रखने, उसके उपयोग आदि से संबंधित गतिविधियों से भी जुड़ा हुआ था, क्योंकि वह इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अभियुक्तों द्वारा बनाए गए गिरोह का प्रमुख सदस्य था।
राघव के अधिवक्ताओं ने कहा कि ईडी ने जांच में उसके सहयोग और इस तथ्य के बावजूद कि धन शोधन के अपराध में अधिकतम सात साल की जेल की सजा हो सकती है, उसे गिरफ्तार किया है।
उसे 8 फरवरी को धन शोधन कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।
ईडी ने आरोप लगाया है कि राघव मगुंटा कम से कम 180 करोड़ रुपये की अवैध कमाई रखने, उपयोग करने, हस्तांतरण आदि की विभिन्न गतिविधियों में शामिल था।
ईडी के आरोपपत्र के अनुसार, कथित रूप से 100 करोड़ रुपये रिश्वत का एक हिस्सा आम आदमी पार्टी (आप) के गोवा विधानसभा चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किया गया था।
सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर ईडी का धन शोधन का मामला सामने आया।
अदालत ने शुक्रवार को ईडी द्वारा जांच की जा रही आबकारी नीति से संबंधित धन शोधन मामले में चैरिएट प्रोडक्शंस मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राजेश जोशी की जमानत अर्जी पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
जोशी पर 2022 के गोवा विधानसभा चुनाव के दौरान आप के प्रचार में पैसा लगाने का आरोप है।