ब्रेकिंग न्यूज़: EWS आरक्षण मामला, सुप्रीम कोर्ट से आई ये खबर

Update: 2022-09-27 11:47 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: संविधान में संशोधन कर सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया था. केंद्र सरकार की ओर से किए गए इस संविधान संशोधन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हुई थीं. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान करने वाले संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है.
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसदी आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई सात दिन चली. चीफ जस्टिस की अगुआई में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सात दिन चली सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है.
सात दिन तक चली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है. उन्होंने दलील दी कि आर्थिक आधार पर आरक्षण का फैसला संविधान के मूल ढांचे को और मजबूती प्रदान करता है.
सॉलिसीटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि संविधान की प्रस्तावना में भी आर्थिक न्याय की बात कही गई है. भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट, जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की संविधान पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से ये भी कहा है कि वो लिखित दलील भी दाखिल कर सकते हैं. संविधान पीठ तय करेगी कि सामान्य यानी अनारक्षित वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर तबके (EWS) के उम्मीदवारों के लिए 10 फीसदी आरक्षण के प्रावधान का फैसला संवैधानिक है या नहीं. इससे संविधान के मूल ढांचे पर कोई असर पड़ता है क्या?
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