दिल्ली। यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से शांति वन क्षेत्र में जलभराव की स्थिति बनी हुई है। लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार हथिनीकुंड बैराज से कम पानी आने के बावजूद यमुना में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। इसके मुख्य कारण दिल्ली में योजनाओं की कमी, यमुना में सिल्ट और अतिक्रमण हैं। वर्ष 1978 से लेकर अब तक बाढ़ प्रबंधन को लेकर कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई, जिस कारण यमुना में आई बाढ़ बार-बार कहर ढाती है।
जेएनयू के पर्यावरण विज्ञान स्कूल के प्रो. एएल रामनाथन ने बताया कि दिल्ली में बाढ़ का कारण यमुना किनारे आवासीय क्षेत्र स्थापित करना है। यमुना किनारों से आवासीय क्षेत्र हटाए जाएं और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगें। पेड़ों की जड़ों के कारण मिट्टी का कटान नहीं होगा। साथ ही यमुना नदी के प्रवाह में अवरोध उत्पन्न नहीं होंगे।
डीयू के भूविज्ञान विभाग के प्रो. शशांक शेखर ने बताया कि इस बार हथिनीकुंड बैराज से कम पानी छोड़ा गया, फिर भी बाढ़ आ गई। यमुना सिल्ट और मलबे के कारण छिछली हो गई है। नदी मार्ग कहीं-कहीं अवरुद्ध होने से पानी के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा आई है। पहले नदी से सिल्ट निकालने की आवश्यकता है।