दुश्मनों की खैर नहीं: 'इस्राइली ब्रह्मास्त्र' से रखी जाएगी चीन पर पैनी नजर, भारत ने लद्दाख सेक्टर में तैनात किए हेरॉन ड्रोन
अब चीन की सेना लद्दाख सीमा के इस पार या उस पार भारत के खिलाफ कोई 'नापाक' हरकत करेगी तो तुरंत पता चल जाएगा. भारतीय सेना को इजरायल ने ऐसे ड्रोन्स दिए हैं, जिनके कैमरे, सेंसर्स और राडार किसी बाज की नजरों की तरह तेज हैं. इनका नाम हेरोन ड्रोन्स (Heron Drones) है. भारतीय सेना ने चार हेरोन ड्रोन्स को लद्दाख सेक्टर में तैनात कर दिया है. अब ये आसमान से ही चीनी सेना की हरकतों का एक्स-रे करते रहेंगे. चीन की हर गतिविधि की जानकारी भारतीय सेना और इंटेलिजेंस को मिलती रहेगी.
अप्रैल 2020 में चीन के साथ LAC पर हुए संघर्ष के बाद भारतीय सेना ने लद्दाख में सेना, हथियारों, विमानों, मिसाइलोंन की संख्या बढ़ा दी थी. निगरानी के लिए सैटेलाइट्स की मदद ली जा रही थी. लेकिन अब ड्रोन्स की मदद मिलने से सर्विलांस और रिकॉन्सेंस में काफी ज्यादा मदद मिलेगी. ये चारों ड्रोन्स लेह पहुंच चुके हैं. केंद्र सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने इंडिया टुडे को यह जानकारी दी है.
इजरायल से मिले ये चार हेरोन ड्रोन्स (Heron Drones) अत्याधुनिक हैं. भारतीय सेना में मौजूद सभी ड्रोन्स की तुलना में इनकी ताकत, क्षमता, उड़ान का समय सबकुछ बेहद ज्यादा है. सबसे खास बात ये है कि इन ड्रोन्स कोई किसी तरह से भी जैम नहीं किया जा सकता. यानी इनमें एंटी-जैमिंग (Anti-Jamming) तकनीक लगी है. जो पहले के ड्रोन्स की तुलना में ज्यादा दमदार है.
इन ड्रोन्स को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इमरजेंसी फाइनेंसियल पावर के तहत मंगाया गया है. ताकि देश की सुरक्षा को लेकर किसी तरह का समझौता न किया जाए. हेरान ड्रोन्स को इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (Israel Aerospace Industries) ने बनाया है. यह एक मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस अनमैन्ड एरियल व्हीकल (medium-altitude long-endurance unmanned aerial vehicle) है.
हेरोन ड्रोन (Heron Drone) एक बार हवा में उठा तो 52 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है. यह जमीन से 35 हजार फीट यानी साढ़े दस किलोमीटर की ऊंचाई पर बेहद शांति से उड़ता रहता है. इसे नियंत्रित करने के लिए जमीन पर एक ग्राउंड स्टेशन बनाया जाता है. जिसमें मैन्युअल और ऑटोमैटिक कंट्रोल सिस्टम होता है. यह ड्रोन किसी भी मौसम में उड़ान भरने में सक्षम है.
हेरोन ड्रोन (Heron Drone) में कई तरह के सेंसर्स और कैमरा लगे हैं. जैसे- थर्मोग्राफिक कैमरा यानी इंफ्रारेड कैमरा जो रात में या अंधेरे में देखने में मदद करते हैं. इसके अलावा विजिबल लाइट एयरबॉर्न ग्राउंड सर्विलांस जो दिन की रोशनी में तस्वीरें लेता है. साथ ही इंटेलिजेंस सिस्टम्स समेत कई तरह के राडार सिस्टम लगे है. इस ड्रोन की सबसे बड़ी बात ये है कि ये आसमान से ही टारगेट को लॉक करके उसकी सटीक पोजिशन आर्टिलरी यानी टैंक या इंफ्रारेड सीकर मिसाइल को दे सकता है. यानी सीमा के इस पास से ड्रोन से मिले सटीक टारगेट पर हमला किया जा सकता है.
इसके कम्यूनिकेशन सिस्टम सीधे तौर पर ग्राउंड स्टेशन से संपर्क में तो रहते ही है. इसके अलावा इसकी संचार प्रणाली को सैटेलाइट के जरिए भी लिंक किया जा सकता है. इसके नेविगेशन के लिए प्री-प्रोगाम्ड फुली ऑटोमैटिक नेविगेशन को चलाया जा सकता है. या फिर मैन्युअली आप रिमोट से इसे नेविगेट कर सकते हैं. इसका कुल वजन 250 किलोग्राम है. भारत में भेजे गए इजरायली हेरोन ड्रोन का नाम ईगल (Eagle) या हारफांग (Harfang) है. हालांकि भारतीय सेना इसे अपना अलग नाम दे सकती है.
भारत की सरकार अमेरिका से 30 हंटर-किलर यूएवी (Hunter-Killer UAV) श्रेणी के मेल प्रिडेटर-बी ड्रोन (Male Predator-B Drone) खरीदने के लिए अमेरिका के साथ 22 हजार करोड़ रुपये की डील करेगा. जो प्रिडेटर ड्रोन भारत मंगवा रहा है, उसका असल नाम MQ-9B लॉन्ग रेंज एंड्योरेंस ड्रोन है. जो हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल से लैस है. अगले कुछ हफ्तों में डिफेंस एक्वेजिशन काउंसिल (DAC) इसे हरी झंडी दे देगी.
मेल प्रिडेटर-बी ड्रोन (Male Predator-B Drone) की खासियत (Specifications) जानकर आप हैरान रह जाएंगे. यह दुनिया का पहला ऐसा ड्रोन है जो हंटर-किलर यूएवी श्रेणी में ज्यादा समय तक (long-endurance) और ज्यादा ऊंचाई से निगरानी (high-altitude surveillance) करने में सक्षम हैं. भारतीय सेनाएं इसका उपयोग चीन से लगी सीमा की निगरानी के लिए करेंगी. साथ ही जम्मू एयरबेस पर हुए ड्रोन हमलों को रोकने के लिए भी कर सकती हैं. आपको बता दें कि इस साल जून में जम्मू एयरबेस पर पाकिस्तानी (Pakistan) आंतकी संगठन ने हथियारों से लदे ड्रोन से हमला किया था.
ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय सेना इसका उपयोग सीमाओं की निगरानी और आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए करेगी. इसके अलावा भारतीय नौसेना इसकी मदद से हिंद महासागर, अरब सागर, बंगाल की खाड़ी समेत कई अन्य तटीय इलाकों पर घुसपैठ और चीनी हरकतों पर नजर रख सकेगी. खास बात ये है कि इस ड्रोन की मदद से आप समुद्र के अंदर भी झांक सकते हैं. यह पानी की गहराई में मौजूद पनडुब्बियों पर भी नजर रख सकती है. साथ ही इसके थर्मल सेंसर कैमरा रात के अंधेरे में होने वाले इंसानी मूवमेंट को पकड़ सकते हैं.
मेल प्रिडेटर-बी ड्रोन (Male Predator-B Drone) पर हथियारों (Weapon) के नाम पर मिसाइल (Missile) लगाए जाते हैं. इसमें सात हार्ड प्वाइंट (7 Hard Points) होते हैं, दो इनबोर्ड स्टेशन, दो मिडल स्टेशन एक आउटबोर्ड स्टेशन और सेंटर स्टेशन. यह बेहद तकनीकी सिस्टम है जो मिसाइलों को दागने के लिए उपयोग में लाया जाता है. प्रिडेटर ड्रोन में 4 AGM-114 Hellfire मिसाइलें लगी होती हैं, ये हवा से जमीन पर सटीकता से हमला करती हैं.
इसके अलावा दो लेजर गाइडेड GBU-12 Paveway II बम भी लगाए जाते हैं. इन दोनों के बजाय आप इस ड्रोन पर अलग-अलग तरीके के हथियारों का उपयोग कर सकते हैं. जैसे- GBU-38, जो एक ज्वाइंट डायरेक्ट अटैक एम्यूनिशन (JDAM) है. इसके अलावा ब्रिमस्टोन मिसाइल (Brimstone Missile) भी लगाए जा सकते हैं. सभी मिसाइलों और बमों का उपयोग जरुरत के मुताबिक होता है.