पटना (आईएएनएस)| बिहार सरकार अब किसानों के उत्पादों की ब्रांडिंग, उसके बाजार और जलवायु अनुकूल कृषि पर जोर देगी। सरकार ने कृषि रोड मैप में पुराने कृषि रोड मैप के फोकस एरिया में बदलाव करते हुए दलहन, तेलहन, लेयर फामिर्ंग, डेयरी और फिशरीज के अलावा मिलेट, कृषि विविधीकरण, जलवायु अनुकूल कृषि पर विशेष फोकस करने की योजना बनाई है।
चौथे कृषि रोड मैप में मुख्य फोकस कृषि उद्यमिता और यांत्रिकरण का विकास, फसल मांग आधारित बाजार व्यवस्था, समेकित कृषि प्रणाली, कोल्डस्टोरेज खोलने, निजी भंडारगृहों को प्रोत्साहन देने, रासायनिक उर्वरक का विकल्प और वैकल्पिक उद्यमों के समावेश पर भी रहेगा।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को बैठक में कहा कि अबतक तीनों कृषि रोड मैप में बहुत कार्य किए गए। फसलों की उत्पादकता और उत्पादन बढ़ा है। कृषि फीडर की अलग व्यवस्था कर किसानों को सिंचाई कार्य की सुविधा पहुंचाई गई।
चतुर्थ कृषि रोडमैप में कृषि के आधुनिकीकरण पर जोर देने की योजना बनाई जा रही है जबकि उत्पादों की मार्केटिंग को बढ़ावा देने के साथ-साथ राज्य में होनेवाले उत्पादों की ब्रांडिंग तथा कृषि बाजार के विकास को लेकर योजनाबद्ध ढंग से काम किया जाएगा।
इसके अलावा जलवायु अनुकूल कृषि कार्य एवं जैविक खेती के बेहतर क्रियान्वयन के लिए कार्य किए जाएंगे तथा राज्य में ही बेहतर गुणवत्ता वाले बीज का विकास करने की तैयारी है।
चौथे कृषि रोड मैप में कृषि के विविधीकरण के लिए किसानों को प्रेरित करने को लेकर भी कदम उठाए जाएंगे तथा पशुओं के नस्ल सुधार और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ पशु जनित उत्पाद के क्षेत्र में वैल्यू चेन और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए काम करने की योजना है। राज्य में 17 प्रतिशत हरित आवरण प्राप्त करने के भी लक्ष्य तैयार किए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बिहार की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है और किसान के लिए सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं। बिहार के करीब 76 प्रतिशत लोग आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि का बहुत बड़ा योगदान है।
किसानों की आमदनी को बढ़ाने, फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के लिए सरकार ने सकारात्मक कदम उठाए और इसके लिए वर्ष 2008 में पहला कृषि रोड मैप तैयार किया था।