चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से कहा- 'वोटर के तौर पर 18+ के रजिस्ट्रेशन को लेकर हों कई तारीखें'

मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्रा ने सरकार से, 18 साल की उम्र पूरी करने जा रहे.

Update: 2021-06-02 13:39 GMT

मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्रा ने सरकार से, 18 साल की उम्र पूरी करने जा रहे युवाओं को मतदाता के तौर पर पंजीकरण कराने के वास्ते साल में कई तिथियां दिए जाने के लिए नए सिरे से पैरवी की है. मौजूदा व्यवस्था के अनुसार, एक जनवरी या इस पहले 18 साल का होने वाला व्यक्ति ही मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकता है. एक जनवरी के बाद 18 साल के होने वाले लोगों को मतदाता के तौर पर पंजीकरण कराने के लिए पूरे साल इंतजार करना पड़ता है.   

चंद्रा ने को बताया, ''हमारा यह सुझाव रहा है कि एक साल में कम से कम चार तिथियां दी जानी चाहिए ताकि मतदाता के तौर पर पंजीकरण कराने के लिए युवाओं को पूरा साल इंतजार नहीं करना पड़े.''उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ''कई तथियां होनी चाहिए और मैं चाहूंगा कि यह जल्दी हो.'' मुख्य निर्वाचन आयुक्त के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति दो जनवरी को 18 साल का होता है तो वह पूरे साल मतदाता के तौर पर अपना पंजीकरण नहीं करा सकता. इस व्यक्ति को मतदाता के तौर पंजीकरण कराने के लिए अगले साल तक इंतजार करना पड़ता है.
चंद्रा ने कहा कि विधि मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के साथ हालिया बैठक में निर्वाचन आयोग ने इस पुरानी मांग पर एक बार फिर से जोर दिया. उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने इस सुधार को तेजी से करने पर सहमति जताई. मतदाता पंजीकरण के वास्ते साल में कई तिथियों को तय करने के लिए जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन करने की जरूरत होगी. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 14(बी) के अनुसार, पात्रता तिथि का मतलब जनवरी के पहले दिन से है जब मतदाता सूची तैयार की जाती है या उसकी समीक्षा की जाती है.
चुनाव आयोग ने किया था कोर कमेटी बनाने का फैसला
इससे पहले चुनाव आयोग ने असम, बिहार, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, और पुडुचेरी के हालिया चुनावों से सीखने, अनुभवों और कमियों की पहचान करने के लिए महासचिव की अध्यक्षता में एक कोर समिति गठित करने का निर्णय लिया था. समिति को राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में अनुभवों, उनका एनालिसिस करने और आगे के तरीकों और सुधारों पर सुझाव देने के लिए कहा गया था. चुनाव आयोग के उपचुनाव आयुक्त और हालिया मतदान वाले राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारी और कुछ चुनिंदा विशेष पर्यवेक्षक (Special Observers) इस समिति के सदस्य होने की बात कही गई थी.


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