बुजुर्ग मां-बाप को उतारा मौत के घाट, बेटे को सजा ए मौत
बरेली: बरेली में सम्पत्ति विवाद में वृद्ध मां-बाप की गोली मारकर हत्या करने के दोषी दुर्वेश गंगवार को न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी की कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने 125 पेज के आदेश में हत्याकांड को दुर्लभतम अपराध की श्रेणी में मानते हुए दोषी को फांसी के फंदे पर मृत्यु होने तक लटकाने …
बरेली: बरेली में सम्पत्ति विवाद में वृद्ध मां-बाप की गोली मारकर हत्या करने के दोषी दुर्वेश गंगवार को न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी की कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने 125 पेज के आदेश में हत्याकांड को दुर्लभतम अपराध की श्रेणी में मानते हुए दोषी को फांसी के फंदे पर मृत्यु होने तक लटकाने के सख्त आदेश दिये हैं।
डीजीसी क्राइम सुनीति कुमार पाठक ने बताया कि थाना मीरगंज में बहरोली गांव के उमेश गंगवार ने एफआईआर दर्ज कराई थी।
13 अक्टूबर 2020 की तड़के साढ़े चार बजे सेवानिवृत्त शिक्षक पिता लालता प्रसाद (76) और मां मोहनदेई (75) की गोली मारकर भाई दुर्वेश गंगवार ने हत्या कर दी। पुलिस ने 9 नवंबर 2020 को मीरगंज के पास से उसे गिरफ्तार किया था। हत्यारोपी दुर्वेश की निशानदेई पर पुलिस ने आलाकत्ल तमंचा और उसके रक्त रंजित कपड़े बरामद किये थे। विवेचना के बाद पुलिस ने हत्यारोपी पुत्र दुर्वेश गंगवार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
डीजीसी क्राइम सुनीति कुमार पाठक ने बताया कि बरेली के इस चर्चित केस की सुनवाई जिला जज की कोर्ट में हुई थी। उन्होंने आरोप साबित करने को मृतक दम्पति के पुत्र उमेश उसकी पत्नी समेत नौ गवाह पेश किये थे। दोनों पक्षों की ओर से लिखित बहस दाखिल होने के बाद केस पत्रावली न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी की कोर्ट में ट्रांसफर हुई थी।
डीजीसी क्राइम सुनीति कुमार पाठक और एडीजीसी क्राइम सुनील पांडेय ने न्यायाधीश ज्ञानेंद्र कुमार त्रिपाठी की कोर्ट में फिर से बहस की। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनकर कोर्ट ने 23 जनवरी 2024 को हत्यारे पुत्र दुर्वेश गंगवार को अपने वृद्ध मां-बाप की हत्या में दोष सिद्ध कर सजा निर्धारण को मंगलवार 30 जनवरी की तारीख नियत की थी।
बताया जाता है कि रिटायर्ड शिक्षक लालता प्रसाद की लगभग 80 बीघा जमीन थी। लालता प्रसाद पत्नी के साथ छोटे पुत्र के साथ रहते थे। पुलिस ने बताया उन्होंने अपनी पेंशन की राशि व अपने हिस्से की जमीन छोटे बेटे को दे रखी थी। जिससे बड़ा पुत्र दुर्वेश रंजिश मानता था। घटना जिस मकान में हुई उससे सटे पुराने मकान को पिता ने दुर्वेश को दे रखा था।