बूंदी। बूंदी कोरोना काल के लर्निंग गेप को दूूर करने के लिए शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में वर्कबुक कोर्स शुरू किया, लेकिन उसमें भी उदासीनता बरती गई। इसका खामियाजा प्रदेश के लाखों विद्यार्थी भुगत रहे हैं। सत्र आरंभ हुए 2 माह बीत जाने के बावजूद अभी तक स्कूलों में वर्कबुक उपलब्ध नहीं हुई है। नतीजा बच्चों द्वारा शिक्षा के बढ़ते कदम में भेजे गए लिंक के आधार पर स्कूलों में फोटोकॉपी से पढ़ाई करवाकर बेसलाइन टेस्ट दिला दिए गए। कक्षा तीन से 8वीं तक के बच्चों को इसका लाभ मिलना था।
निदेशक के आदेश अनुसार 16 से 18 अगस्त के मध्य आधार रेखा मूल्यांकन कर विद्यार्थियों के समूह बनाने थे, किंतु राज्य सरकार ने पेपरलैस प्रणाली का उपयोग कर वर्कबुक की लिंक भेज कर दायित्वों की इतिश्री कर ली। बिना वर्कबुक के अध्यापन एवं परीक्षा बिना राशि के पूर्ण हो गए। कई संगठनों ने इस पर विरोध भी जताया। इधर, अभिभावको का आरोप है कि विभाग ने खानापूर्ति के लिए प्रधानाचार्य के मोबाइल पर ऑनलाइन पीडीएफ लिंक भेज दिया। विद्यार्थियों को लिंक से पेज डाउनलोड कर फोटोकॉपी से पढ़ाई करवानी पड़ी।
विभाग के लिंक से प्राप्त प्रपत्र के अनुसार कक्षा 4-5 और 6-7 के लिए एक ही प्रपत्र है, किन्तु टाइम टेबल अनुसार परीक्षा अलग-अलग तारीखों में करवाई गई। यह परीक्षा की गोपनीयता पर प्रश्न चिन्ह है। कक्षाओं के पाठ्यक्रम अलग होने और प्रश्नपत्र समान होने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। नया सत्र शुरु होने के करीब दो माह बाद भी प्रदेश के सरकारी स्कूलों में वर्कबुक नहीं पहुंची। नतीजा प्रदेश के 60 लाख व बूंदी जिले के 1 लाख 12 हजार 525 विद्यार्थियों को बिना तैयारी आरकेएसएमबीके टेस्ट देने पड़े। जबकि जुलाई माह में वर्कबुक मिलनी थी, हालात यह है कि टेस्ट की खानापूर्ति के लिए दो दिन पहले लिंक भेजकर टेस्ट शुरू कर इतिश्री कर ली गई।