शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा- CBSE बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने का फैसला पहले लेना चाहिए था, 15-20 फीसदी बच्चे चाहेंगे री-एग्जाम
सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाएं रद्द किए
सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाएं रद्द किए जाने पर दिल्ली डिप्टी सीएम एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि, यह फैसला देरी से लिया गया पहले लिया जाना चाहिए था, 12वीं के बच्चे लगातार इस बात का इंतजार कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि, जो कक्षाएं फरवरी तक खत्म हो जा रही थी वह अंतहीन चल रही थीं, इस समय बच्चे अबतक कॉलेज पहुंच जाते थे.उनके मन में डर था कि अगर सरकार नहीं मानी और परीक्षा कराई तो रिस्क हो सकता है.
स्वास्थ्य और कैरियर दोनों प्राथमिकताएं हैं दोनों में कोई कंपटीशन नहीं है. सबसे पहले हमने बच्चों का स्वास्थ्य देखा और हमने शिक्षा मंत्रियों की बैठक में मांग की थी.अगर बच्चे पिछले 2 से 3 साल के आकलन के आधार पर नतीजों से संतुष्ट नहीं होते हैं परिस्थितियां ठीक होने के बाद वे एग्जाम दे सकते हैं बच्चे निराश ना हों. मैंने दिल्ली के कुछ स्कूलों में बात की थी मुझे यह समझ में आया कि लगभग 15 से 20 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जो री एग्जाम चाहेंगे
इस पूरे सिस्टम में जिम्मेदारी शिक्षकों के ऊपर है और मैं शिक्षा मंत्री के रूप में अपने शिक्षकों पर पूरा भरोसा करता हूं क्योंकि बात सिर्फ एक परीक्षा की नहीं है, हमने भरोसा करके उस बच्चे को टीचर को सौंपा हुआ है और पिछले 12 साल से वह उस बच्चे को देख रहे हैं अगर हम अपने शिक्षकों पर इतना भरोसा करते आए हैं तो इतना तो भरोसा कर ही सकते हैं कि 12वीं की कक्षा में उसका एसेसमेंट भी ठीक करें.
शिक्षकों पर भरोसा न करने से काम नहीं चल सकता है अगर कोई भरोसा नहीं करेगा तो शिक्षा नहीं मिल पाएगी. एसेसमेंट सिस्टम को इस तरीके से बनाएं कि वह बच्चा पहली बार आपके पास नहीं आया है और 12 साल से आपके पास है.
बहुत मुश्किल दौर है ज्यादातर विश्वविद्यालय 12वीं की मेरिट के आधार पर ही एडमिशन लेती हैं. जो प्रतियोगी परीक्षाएं हैं उन पर फिर से विचार करने की जरूरत है.
वैक्सीन को लेकर लापरवाही रही है हम पहले से सोच लेते कि 12वीं के बच्चों को जो 2003 के आसपास जन्म लिए हैं उनको वैक्सीन लगाई जा सकती थी तो 80 से 85 फीसदी बच्चों को वैक्सीन लग जाती.
अब जो हो गया सो हो गया.. जो फैसला लिया तो लिया… मेरी विनती अब सरकार और बोर्ड और सभी राज्य सरकारों से यह है कि कोरोना अभी जाने वाला नहीं है.. इसलिए अगले साल के लिए भी अभी से तैयारी शुरू कर दीजिए. अभी से बच्चों को बता दीजिए कि आपकी पढ़ाई किस तरीके से होगी और आपका रिजल्ट और एसेसमेंट किस तरीके से होगा तो फिर बच्चों को भी 1 साल पहले से पता रहेगा.
हमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों का एक हायब्रिड सिस्टम तैयार करना होगा. अभी हमारी किताबें,ऑनलाइन सिस्टम, शिक्षकों की ट्रेनिंग उस तरीके से विकसित नहीं हो सकी है कि हम बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाएं.इन सब को भी बदलने करने की जरूरत है
पूरे सिलेबस को ऑनलाइन सिस्टम के हिसाब से बनाना पड़ेगा.