शिक्षा विभाग ने स्कूल को थमाया नोटिस, करीना कपूर के बेटे से जुड़ा मामला
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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के खंडवा (Khandwa) में एक प्राइवेट स्कूल में कक्षा 6 वीं के एक्जाम में पूछे गए सवाल को लेकर हंगामा मच गया है. वहीं, इस एक्जाम में बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर और सैफ अली खान के बेटे का पूरा नाम पूछा गया था. इस पर पैरेंट्स एसोसिएशन ने राज्य शिक्षा विभाग के पास इसे लेकर शिकायत दर्ज करा दी. इस मामलें पर जब बवाल बढ़ा तो शिक्षा विभाग ने स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी करने का फैसला लिया है. हालांकि स्कूल के अधिकारियों ने कहा कि इस सवाल को विद्यार्थियों के ज्ञान को बढ़ाने के प्रयास के तौर पर देखा जाना चाहिए.
दरअसल, खंडवा शहर के एकेडमिक हाइट्स पब्लिक स्कूल की कक्षा 6वीं के सामान्य ज्ञान विषय के प्रश्न पत्र में गुरुवार को सवाल पूछा गया था कि करीना कपूर खान और सैफ अली खान के बेटे का पूरा नाम लिखें. इस सवाल पर एक स्थानीय अभिभावक-शिक्षक संघ ने आपत्ति जताते हुए कई सोशल मीडिया साइट्स पर प्रश्न पत्र की प्रति साझा की. वहीं जिला शिक्षा अधिकारी संजीव भालेराव ने शुक्रवार को मीडियी से बातचीत करते हुए कहा कि यह मामला उनकी जानकारी में आया है और विभाग संबंधित स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी करेगा. बता दें कि यह प्रश्न पत्र सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो गया है. इसमें छात्रों से करीना कपूर खान के बेटे के नाम के अलावा सकाल 2019 के IPL विजेता टीम का भी नाम पूछा गया है. साथ ही उत्तर कोरिया के तानाशाह का नाम भी छात्रों को बताने के लिए कहा गया है. इस मामले पर जिला अभिभावक संघ के अध्यक्ष ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा- "स्कूल प्रशासन छात्रों से इस तरह के गैर-गंभीर सवाल कैसे पूछ सकता है? ऐसे में छात्रों से ऐतिहासिक आइकन और अन्य देश प्रेमियों के बारे में पूछने के बजाए, वो बॉलीवुड जोड़े के बेटे का नाम पूछ रहे हैं.
गौरतलब है कि इस मामले पर जब हंगामा ज्यादा बढा तो राज्य शिक्षा विभाग ने स्कूल को नोटिस जारी कर दिया. वहीं, स्कूल से इस मामले पर जवाब मांगा गया है. ऐसे में जिला शिक्षा अधिकारी संजीव भालेराव ने कहा कि हमने स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इस जवाब के आधार पर हम स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करेंगे. वहीं, इसके अलावा अन् हम अन्य कक्षाओं के प्रश्न पत्रों की भी जांच करेंगे. उन्होंने कहा, " अभी तक स्कूल के किसी भी विद्यार्थी के माता-पिता ने इस मामले में शिकायत नहीं की है" और जो लोग विरोध कर रहे हैं वह स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के माता-पिता नहीं हैं. साथ ही कहा कि सवाल को धर्म या सांप्रदायिकता से जोड़ना गलत है इसे मात्र ज्ञान बढ़ाने के प्रयास के तौर पर देखा जाना चाहिए.