नई दिल्ली। ईडी ने डीजेबी की निविदा प्रक्रिया में मानदंडों के उल्लंघन और अनियमितताओं के संबंध में दिल्ली जल बोर्ड, एनबीसीसी और निजी संस्थाओं के अधिकारियों के दिल्ली-एनसीआर, चेन्नई और केरल में 16 परिसरों पर तलाशी ली है। तलाशी के दौरान, विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज़ और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए। जगदीश कुमार अरोड़ा के नाम पर विभिन्न अघोषित संपत्तियों का विवरण भी बरामद किया गया।
दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी छापेमारी की है। दिल्ली जल बोर्ड बोर्ड में कथित तौर से गड़बड़ी और फंड के गलत इस्तेमाल से जुड़े मामले में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर यह छापेमारी की गई है। अपनी जांच-पड़ताल के दौरान ED ने सोमवार को दिल्ली और केरल में 12 ठिकानों पर छापेमारी की। सूत्रों ने कहा है कि जांच एजेंसी ने इस छापेमारी के दौरान कई कागजात भी जब्त किये हैं। जांच एजेंसी ने इस छापेमारी के दौरान टेक्निकल एविडेंस भी जुटाए हैं। इस मामले में जो एफआईआर दर्ज की गई है उसमें कहा गया है कि यह हेराफेरी दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों और कॉरपोरेशन बैंक (अब यूनियन बैंक)के अधिकारियों की मिलीभगत से की गई है। दरअसल नवंबर 2022 में दिल्ली सरकार के एंटी-करप्शन ब्रांच ने एक एफआईआर दर्ज कराई थी। इस एफआईआर में दिल्ली जल बोर्ड में 20 करोड़ रुपये के फंड की हेराफेरी का आऱोप लगाया गया है। दिल्ली जल बोर्ड में कथित घोटाले की जांच की आंच अब केरल तक पहुंच गई है।
दिल्ली जल बोर्ड में कथित तौर से हुए 20 करोड़ के घोटाले को लेकर यह कहा जा रहा है कि जिस कंपनी से बोर्ड ने टाई-अप किया था वो कंपनी कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद भी लोगों से बिल कलेक्शन कर रही थी। इस कॉन्ट्रैक्ट के बारे में बताया जाता है कि यह कॉन्ट्रैक्ट साल 2012 से 10 अक्टूबर 2019 तक का था। लेकिन कॉन्ट्रैक्ट की अवधि खत्म होने के बाद भी Aurrum e payment नाम की कंपनी लोगों से पैसे लेती रही। आरोप लगते रहे हैं कि करोड़ों रुपये के इस घोटाले में बैंक अधिकारियों के अलावा कुछ दलाल और दिल्ली जल बोर्ड के भी कुछ अधिकारी शामिल हैं। प्रवर्तन निदेशालय इसी कथित घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच कर रही है और इसी जांच के तहत दिल्ली से लेकर केरल तक यह छापेमारी हुई है।
यह पूरा मामला पानी के बिल के भुगतान से जुड़ा है। इसके लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को बिल कलेक्शन का जिम्मा दिया गया था। यह बिल पेमेंट ई-कियोस्क के जरिए लिया जाना था ताकि लोगों को बिल के भुगतान में किसी तरह की परेशानियों का सामना ना करना पड़े। इसके बाद बैंक ने Fresh Pay IT Solutions नाम की एक कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया। इसके बाद Fresh Pay IT Solutions ने Aurrum e-Payments Pvt Ltd नाम की एक अन्य कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया। भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो ने इस साल प्रेस रिलीज के जरिए बयान जारी कहा था कि यह कॉन्ट्रैक्टर अक्टूबर 2019 तक का था लेकिन Aurrum e-Payments Pvt Ltd ने मार्च 2020 तक पैसों का कलेक्शन किया। बयान में आगे कहा गया कि Aurrum ने दिल्ली में विभिन्न जगहों पर लगे कियोस्क से पैसे जमा किया और इन पैसों को कनॉट प्लेस स्थित कार्यालय में लाया गया था। इसके बाद इन पैसों की बंदरबाट हुई है। इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि आगे की जांच में शेल कंपनियों को लेकर भी खुलासे हो सकते हैं।