नई दिल्ली: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय के समन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले महीने केंद्रीय एजेंसी से कहा था कि वह उनके खिलाफ जारी समन वापस ले ले अन्यथा वह कानूनी कार्रवाई करेंगे। शीर्ष अदालत सोमवार को इस मामले में सुनवाई कर सकती है। केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने पिछले महीने हेमंत सोरेन को मामले की जांच में शामिल होने के लिए समन जारी किया था।
उल्लेखनीय है कि ED झारखंड के साहेबगंज जिले में अवैध खनन मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की छानबीन कर रहा है। प्रवर्तन निदेशालय इस मामले में हेमंत सोरेन की भूमिका के बारे में भी जांच कर रहा है। इसी मामले में ईडी ने पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को तलब किया था। हालांकि हेमंत सोरेन ने तब केंद्रीय जांच एजेंसी को पत्र लिखकर कहा था कि उन्होंने मामले से जुड़े सभी आवश्यक दस्तावेज और जानकारियां उपलब्ध करा दी है। यदि ईडी को कोई जानकारी चाहिए तो वह लिखित में संदेश दे सकता है।
एनडीटीवी इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जो राज्य खनन मंत्रालय के भी प्रभारी हैं, उन पर 2021 में खुद को खनन पट्टा देकर चुनाव नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। हालांकि, हेमंत सोरेन ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है। उन्होंने केंद्र सरकार पर एक आदिवासी नेता को परेशान करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि केंद्रीय एजेंसियां राजनीतिक बदले की भावना से उन्हें निशाना बना रही हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने 2020 में पिता शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल जांच में अपनी चल और अचल संपत्ति का विवरण सीबीआई को दे दिया है।
मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया है कि प्रवर्तन निदेशालय सीबीआई के समक्ष दाखिल गए किए जवाब का विवरण प्राप्त कर सकता है। पिछले साल नवंबर में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ईडी के समन पर शामिल नहीं हुए और नृत्य महोत्सव में भाग लेने के लिए छत्तीसगढ़ चले गए थे। ईडी के समक्ष पूछताछ के लिए हाजिर नहीं होने के अपने फैसले के बारे में बोलते हुए हेमंत सोरेन ने कहा था कि जांच एजेंसी ने एक छोटा नोटिस दिया था। उन्होंने केंद्रीय जांच एजेंसी पर हमला बोलते हुए कहा कि क्या हम चोर या असामाजिक हैं?