ED ने किया गोल्ड तस्कर को गिरफ्तार, अवैध तरीके से देशभर में बेच रहे थे ज्वैलरी
पूछताछ जारी
देश से बाहर निर्यात की जाने वाली लगभग ढाई सौ किलोग्राम सोने/सोने से बने जेवरात को अवैध तरीके से घरेलू क्षेत्र में गोल्ड ज्वैलरी बनाकर बेचने के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय ने प्रीत कुमार अग्रवाल नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है. ईडी के जरिए इस मामले में मारे गए छापों के दौरान बड़े पैमाने पर हवाला लेनदेन का पता चला है. साथ ही यह पता भी चला है कि आरोपियों ने कई बेनामी संपत्तियां भी खरीदी थी. ईडी के एक आला अधिकारी ने बताया कि यह मामला घरेलू क्षेत्र में गोल्ड ज्वैलरी के डायवर्जन से संबंधित था. यह गोल्ड देश से बाहर भेजे जाने के लिए आया था. इस मामले में डीआरआई यानी डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने जांच शुरू की थी. जांच के दौरान डीआरआई ने पाया कि इस मामले में शामिल आरोपियों ने एमएमटीसी और स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के अलावा डायमंड लिमिटेड प्राइवेट लिमिटेड जैसी नाम की एजेंसियों से इस सोने की खरीद की थी और यह सोना घरेलू क्षेत्र में विभिन्न लोगों को गैरकानूनी रूप से बेचा गया था.
डीआरआई की जांच के दौरान यह दावा भी किया गया था कि आरोपियों ने लगभग ढाई सौ किलो सोना या उससे बनी ज्वैलरी बेची है. जांच के दौरान पता चला है कि यह सोना कस्टम से ड्यूटी फ्री था. लिहाजा इसकी कीमत भी काफी कम थी. डीआरआई ने इस मामले में सीमा शुल्क अधिनियम 1962 की धारा 132 और 135 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी. ईडी के आला अधिकारी के मुताबिक बाद में यह मामला जांच के लिए ईडी के पास आया.
ईडी ने इस मामले में हैदराबाद में पांच अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की. इस छापेमारी के दौरान ईडी को अनेक ऐसे अहम दस्तावेज मिले, जिनसे यह साबित होता था कि आरोपी व्यक्तियों के जरिए बड़े पैमाने पर हवाला लेनदेन भी किया गया है. जांच के दौरान ऐसे दस्तावेज भी मिले जिनसे यह साबित होता था कि आरोपियों ने इस पैसे से दूसरों के नाम पर अनेक संपत्तियां भी खरीदी थी. प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में छापेमारी से बरामद दस्तावेजों के आधार पर आरोपी प्रीत कुमार अग्रवाल को पूछताछ के लिए बुलाया और पूछताछ के दौरान उसके जवाबों से संतुष्ट न होने पर उसे प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी पीएमएलए के तहत गिरफ्तार कर लिया.
ईडी के आला अधिकारी के मुताबिक पूछताछ के दौरान प्रीत कुमार अग्रवाल नाम का शख्स जानकारियां छुपा रहा था और जांच अधिकारियों को उनके उद्देश्य से भटकाने की कोशिश कर रहा था. बता दें कि मामले की जांच अभी जारी है. अब ईडी जानना चाहता है कि इस घोटाले की रकम किन-किन लोगों के पास गई और इसके तार कहां-कहां जुड़े हुए हैं.