मतदान की आयु और चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु के बीच समानता लाने पर चुनाव आयोग ने आपत्ति दर्ज कराई
नई दिल्ली । चुनाव आयोग ने मतदान की आयु और चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु के बीच समानता लाने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने संसदीय पैनल को यह भी बताया कि उसने 'इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का एक विश्वसनीय और संशोधित संस्करण' विकसित किया है। चुनाव आयोग जनवरी में विज्ञान भवन में सभी पार्टियों के सामने इसका प्रेजेंटेशन देगा।
कार्मिक लोक शिकायत कानून और न्याय संबंधी स्थायी समिति के समक्ष सोमवार को चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा कि चुनाव आयोग लोकसभा विधान सभाओं राज्यसभा में चुनाव लड़ने की योग्यता के रूप में न्यूनतम आयु सीमा को कम करने के पक्ष में नहीं है। सूत्रों ने बताया कि संसदीय पैनल ने चुनाव आयोग से न्यूनतम आयु सीमा को कम करने के बारे में पूछा था।
सूत्रों के अनुसार संसदीय पैनल ने चुनाव आयोग से पूछा था कि क्या लोकसभा और विधानसभाओं के लिए चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु 25 से घटाकर 21 वर्ष की जा सकती है जबकि उच्च सदन निकायों के लिए इसे 30 से घटाकर 25 किया जा सकता है। यह सुझाव 1998 में भी पोल पैनल को भेजे गए कुछ सुधार प्रस्तावों का हिस्सा था। हालांकि चुनाव आयोग ने संसदीय पैनल के सामने कहा कि वह मतदान की आयु और चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु के बीच समानता लाने पर सहमत नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि संविधान सभा के समक्ष इस तरह के सुझाव आए थे। लेकिन बी। आर। अंबेडकर ने इस तरह के कदम का विरोध करने के लिए एक नया अनुच्छेद जो वर्तमान में संविधान का अनुच्छेद 84 है को शामिल करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था। उन्होंने सुझाव दिया था कि जिन लोगों के पास कुछ उच्च योग्यताएं हैं और दुनिया के मामलों में एक निश्चित मात्रा में ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव है उन्हें विधानमंडल की सेवा करनी चाहिए।