डिबेट के दौरान भाजपा और तृणमूल प्रवक्ता आपस में भिड़े...एक ने कहा लंपट तो दूसरे ने कहा मुर्गी चोर...देखे VIDEO
संवैधानिक संकट की वजह से तीरथ सिंह रावत को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। तीरथ सिंह रावत विधानसभा के सदस्य नहीं थे इसलिए उनके सामने यह संकट आया। अब राजनीतिज्ञ विश्लेषक यह भी कयास लगा रहे हैं कि अगर पश्चिम बंगाल में तय सीमा के अंदर विधानसभा चुनाव नहीं होते हैं तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए भी मुश्किलें पैदा हो सकती है। इसी मुद्दे पर आयोजित एक टीवी डिबेट के दौरान भाजपा और तृणमूल प्रवक्ता आपस में भिड़ गए। भाजपा प्रवक्ता ने लंपट कहा तो टीएमसी प्रवक्ता ने प्रेम चोपड़ा मुर्गी चोर कह दिया।
आज तक न्यूज चैनल पर आयोजित टीवी डिबेट के दौरान एंकर चित्रा त्रिपाठी ने तृणमूल प्रवक्ता मनोजीत मंडल से कहा कि आप नेशनल टीवी पर बैठकर चुनाव आयुक्त के बारे में झूठ क्यों फैला रहे हैं। इसपर तृणमूल प्रवक्ता ने जवाब देते हुए कहा कि मैंने किसी का नाम नहीं लिया है बल्कि पूर्व चुनाव आयुक्त के बारे में कहा। तृणमूल प्रवक्ता को बीच में टोकते हुए भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला कहने लगे कि आपने मुख्य चुनाव आयुक्त का नाम लिया है।
भाजपा प्रवक्ता के इतना कहते ही टीएमसी प्रवक्ता ने कहा कि आप इतने उतावले क्यों हो रहे हैं। जिनके बारे में कह रहा हूं, उनको मेरे खिलाफ केस करने को कहिए। इसपर भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला टीएमसी प्रवक्ता से कहने लगे कि आपका झूठ पकड़ा गया और आपकी लंपटता पकड़ी गई, आप लंपट हैं। आपके झूठ का बुर्का फट गया।
भाजपा प्रवक्ता के इन बयानों पर टीएमसी प्रवक्ता मनोजीत मंडल ने भी पलटवार किया। मनोजीत मंडल ने कहा कि आपने एक चार्जशीटेड को पश्चिम बंगाल का गवर्नर बनाया हुआ है। बीजेपी प्रवक्ता के द्वारा लगातार झूठे और लंपट कहे जाने पर टीएमसी प्रवक्ता ने कहा कि आप भी प्रेम चोपड़ा हो, आपको तो फिल्मों में होना चाहिए। आप किसी को बात करने नहीं देते हो। आप प्रेम चोपड़ा मुर्गी चोर हो।
बता दें कि शुक्रवार देर रात 11 बजे के आसपास तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड के राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया। संवैधानिक नियमों का हवाला देते हुए इस्तीफा देने की बात कही गई। अगर समयसीमा के भीतर पश्चिम बंगाल में भी विधानसभा के उपचुनाव नहीं हुए तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी खतरा मंडरा सकता है क्योंकि ममता भी विधानसभा की सदस्य नहीं हैं। संविधान के अनुसार किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री या मंत्री को उस राज्य के विधानमंडल का सदस्य होना होता है। अगर वह सदस्य नहीं बन पाते हैं तो 6 माह के अंदर उनका कार्यकाल समाप्त हो जाता है।
न्यूज़ सोर्स- आज तक