प्राकृतिक आनंद और जैव विविधता का अड्डा है दुर्ग का तालपुरी नगरवन

Update: 2023-08-16 07:22 GMT
दुर्ग: प्रकृति इंसान ही नहीं पक्षियों की जिंदगी में नया रंग घोल देती है। छत्तीसगढ़ के दुर्ग और भिलाई के बीच बनाया गया तीन सौ एकड़ का वन (जंगल) प्राकृतिक आनंद और जैव विविधता के अड्डे में बदल गया है। जहां आमजन को सुख की अनुभूति होती है तो वही पक्षियों की चह-चहाहट उसे कई गुना बढ़ा देती है।
यही कारण है कि यहां लगभग तीन सौ प्रजाति के पक्षी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते है। दुर्ग और भिलाई के बीच किसी जंगल की कल्पना करना आसान नहीं है, लेकिन अगर आप ऐसी कल्पना करते हैं तो खुद उसकी अनुभूति कर सकते हैं। दुर्ग शहर से लगे ठगड़ा बांध के किनारे ऐसे ही एक जंगल हैं। 300 एकड़ में बने इस तालपुरी नगरवन में बायोडायवर्सिटी के लिए बड़ी संभावनाएं हैं। यहां 103 तरह की वनस्पति और 295 तरह के पशु-पक्षी हैं।
सबसे खास आकर्षण 108 एकड़ में फैला एक जलाशय है। यहां काफी लंबा ट्रैक है और सुबह शाम सैर के लिए आने वाले लोगों के लिए यह जगह जन्नत जैसी महसूस होगी। यहां के जलाशय में प्रवासी पक्षी भी आते हैं। जलाशय के पास थोड़ा दलदली क्षेत्र होने की वजह से पक्षियों के रहवास के लिए यह आदर्श स्थल है। इसके अनुरूप ही यहां पर जैव विविधता के लिए अनेक वनस्पति लगाई गई है। बीते दो-तीन बरसों में यहां बड़े पैमाने पर प्लांटेशन का कार्य हुआ है।
अधिकारियों ने बताया कि पहले भी यहां काफी पौधे थे और बाद में भी पौधे लगाये गये। लगभग सत्तर हजार पौधों का रोपण यहां किया गया है। उल्लेखनीय है कि इसका साइक्लिंग ट्रैक ही तीन किलोमीटर का है। बीच-बीच में बैठने के लिए बेंच लगाये गये हैं। पक्षियों की चह-चहाहट सुनते हुए मेडिटेशन करने के लिए यह जगह आदर्श होगी।
’इंडियन रोलर, ग्रीन बी ईटर जैसे कई तरह के पक्षी-’ तालपुरी नगर वन में विभिन्न प्रकार के वृक्ष एवं जीव जन्तुओं की एक विशाल विविधता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के घास, पौधे, पक्षी, तितलियां, स्तनधारी, सरीसृप और जलीय प्रजातियों के समूह भी शामिल हैं। यहां विभिन्न प्रकार के वृक्ष प्रजातियां जैसे सागौन, आंवला, शीशु, करंज, आम, जाम, कटहल, बादाम, गुलमोहर, पेल्ट्राफार्म, रेन ट्री आदि के लगभग 70 हजार पौधों का रोपण किया गया है। इस क्षेत्र में जैव विविधता सर्वेक्षण किया गया है जिसके परिणामस्वरूप वनस्पतियों की कुल 103 प्रजातियों और जीव जन्तुओं की 295 प्रजातियों की पहचान की गई, जिनमें दुर्ग जिले अंतर्गत कुछ दुर्लभ और नए जीवों की पहचान की गई है।
यहां पर कोयल, तोता, मैना, सारस, बतख, ग्रे हेडड स्वैम इंडियन रोलर, ग्रीन बी इटर, पर्पल हेरेन, एशियन ओपनबील, लेसर विसलिंग डक, इंडियन स्पॉट बिल डक, कॉम्बे डक कॉटन टेल, किंगफीशर कॉमन क्विल, ग्रे फेल्कन आदि क्षेत्रीय पक्षी एवं फैल्केटेड डक बार हेडेड गूस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, गॉडविल, नॉर्दन पिनटेल, ग्रे हेडेड स्वामहेन आदि प्रवासी पक्षी पाए जाते हैं।
इस क्षेत्र में तितलियों की भी कई प्रजातियां पाई जाती है। यहां योगा जोन एवं ओपन थिएटर का निर्माण किया गया है। साथ ही एक मेमोरियल कॉर्नर स्थापित किया गया है जिसका उद्देश्य लोगों को अपने प्रियजनों की याद में जन्मदिन तथा किसी अन्य अवसर पर वृक्षारोपण करने हेतु प्रोत्साहित करना है। लोगों को प्रकृति के साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की इस पहल को स्थानीय लोगों द्वारा अत्यधिक पसंद किया जा रहा है।
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