सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही के चलते दर-दर ठोकर खा रहा वृद्ध जोड़ा, कहा- 'साहिब हम ज़िंदा हैं!'...जाने पूरा मामला

सरकारी दफ्तरों के चक्कर इसलिए काट रहा है ताकि सिस्टम उनको ज़िंदा मान सके.

Update: 2021-07-17 03:07 GMT

दुमका. झारखंड के जामताड़ा ज़िले के बाद दुमका ज़िले में भी ऐसा मामला आया है, जहां सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही के चलते एक वृद्ध जोड़ा सरकारी दफ्तरों के चक्कर इसलिए काट रहा है ताकि सिस्टम उनको ज़िंदा मान सके. जी हां! इस वृद्ध दंपति को कागज़ों पर मृत घोषित कर दिया गया है. हैरत की बात यह भी ​है कि खुद को जीवित बताते हुए ये वृद्ध एक, दो नहीं, पिछले 11 साल से दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. कागज़ी घालमेल से हो यह रहा है कि सरकार से मिलने वाले लाभों से यह दंपति वंचित है.

दुमका ज़िले के सरैयाहाट प्रखंड के कोल्हाडी गांव के 75 वर्षीय लुबिन मांझी और उनकी पत्नी को 2011 में जनगणना सर्वे में मृत घोषित कर दिया गया. यह बात उन्हें तब पता चली जब लुबिन मांझी प्रखंड कार्यलय में वृद्धावस्था पेंशन के लिए गए. लेकिन लुबिन का आवेदन इसलिए रद्द कर दिया गया क्योंकि कागज़ पर वह ज़िंदा नहीं थे. इस बीच लुबिन के नाम पर सरकारी आवास भी स्वीकृत हुआ, लेकिन वह भी इसी घालमेल के चलते नहीं मिल सका.
वृद्ध दम्पति ने ब्लॉक से लेकर ज़िले के आला अधिकारियों तक ही नहीं, मुख्यमंत्री तक अपने जीवित होने की फरियाद लगाई, लेकिन उनकी बात अब तक किसी के कान में नहीं पहुंची. बेटे से अलग जर्जर क्षतिग्रस्त मकानों में दर्द को संजोये रह रहे लुबिन दंपति को सिस्टम की लापरवाही से शिकायत तो है ही, अब वो इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. इधर ज़िले के डीसी रवि शंकर शुक्ल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई का भरोसा दिया है. 75 वर्षीय इस जोड़े को भी उम्मीद है कि एक दिन उन्हें न्याय ज़रूर मिलेगा. लेकिन अभी तो हाल यही है कि सरकारी बाबुओं के रोज़ चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.
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