भगवान बदरीनाथ के दर्शन की अनुमति नहीं मिलने से मौनी बाबा सहित दो संतों ने भोजन त्यागकर अनशन की शुरू
बदरीनाथ मंदिर में भगवान के दर्शन की अनुमति नहीं मिलने से नाराज दो साधुओं ने अनशन के बाद जल भी त्याग दिया।
बदरीनाथ मंदिर में भगवान के दर्शन की अनुमति नहीं मिलने से नाराज दो साधुओं ने अनशन के बाद जल भी त्याग दिया। कोरोना के चलते लागू सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, बदरीनाथ मंदिर में रावल, पुजारी, हकहकूकधारियों के अलावा अन्य किसी को दर्शन की आज्ञा नहीं है। इसके विरोध में मौनी बाबा और धर्मराज भारती ने बीती 23 मई से भोजन त्यागकर अनशन शुरू किया था। इसके बाद भी दर्शन की अनुमति न मिलने पर दोनों ने सोमवार से जल भी त्याग दिया है। बाबा धर्मराज भारती का कहना है कि उनके अनशन को नौ दिन हो चुके हैं लेकिन जिला प्रशासन व देवस्थानम बोर्ड ने अभी तक दर्शन की अनुमति नहीं दी है। इसे देखते हुए हमने भोजन के साथ जल भी त्याग दिया है।
उधर, बदरीनाथ के थाना अध्यक्ष सतेंद्र सिंह ने बताया कि अनशन पर बैठे साधुओं का मेडिकल टीम से लगातार स्वास्थ्य परीक्षण कराया जा रहा है। साधुओं को मंदिर में भगवान बदरी विशाल के दर्शन नहीं करने देने के पीछे उन्होंने कोविड गाइडलाइन के अनुपालन को कारण बताया। आपको बता दें कि देश में कोरोना संक्रणम के बढ़ते मामलों के बीच मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने चारधाम यात्रा को स्थगित कर दिया था। चारों धामों के कपाट तय समय पर ही खोले गए थे, लेकिन श्रद्धालुओं को दर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई है। उत्तरकाशी जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट 15 मई को खुल गए हैं ,जबकि 14 मई को यमुनोत्री धाम के कपाट खुले हैं। विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट 17 मई और बदरीनाथ धाम के कपाट 18 मई को खोल दिए गए हैं।
वहीं दूसरी ओर, चारधाम तीर्थ पुरोहित हकहकूकधारी महापंचायत ने यात्रा स्थगित करने का विरोध किया है। महापंचायत ने सरकार के फैसले को एकतरफा करार दिया। महापंचायत के महामंत्री हरीश डिमरी ने कहा कि राज्य सरकार ने फैसला करने से पहले राय मशविरा करना तक उचित नहीं समझा। कहा था कि कुछ नहीं तो पूर्व की तरह स्थानीय हकहकूकधारियों और कारोबारियों की डीएम के साथ बैठक कराई जानी चाहिए थी। एक बार उनका पक्ष भी सुन लिया जाता। आर्थिक रूप से लोगों की पहले ही कमर टूटी हुई है और अब सरकार के इस एकतरफा फैसले ने उनकी उम्मीद भी तोड़ दी है।