मीडिया करवेज के कारण मेरी छवि...पूजा खेडकर का दर्द छलक उठा
कलेक्टर पर लगाया आरोप.
नई दिल्ली: पूर्व प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की उम्मीदवारी हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा रद्द कर दी गई थी। उन्होंने पिछले महीने विवाद के बीच महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा था और अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की थी। पुणे से वाशिम ट्रांसफर होने के तीन दिन बाद 11 जुलाई को लिखे गए पत्र में खेडकर ने आरोप लगाया था कि पुणे कलेक्टर सुहास दिवासे ने पुणे जिला कलेक्टरेट में उनकी ट्रेनिंग के पहले दिन से ही उन्हें अपमानित किया है।
8 जुलाई को पूजा को उनके अहंकारी व्यवहार के कारण वाशिम ट्रांसफर कर दिया गया था। दिवासे ने अतिरिक्त मुख्य सचिव नितिन गद्रे को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने खेडकर के व्यवहार के बारे में शिकायत की थी।
पूजा खेडकर ने अपने पत्र में दिवासे द्वारा गद्रे को भेजी गई शिकायत का उल्लेख किया और कहा कि उनके पत्र और उसके बाद मीडिया कवरेज ने उन्हें बहुत पीड़ा पहुंचाई है। पूजा ने लिखा कि इस पत्र और मीडिया करवेज के कारण मेरी छवि जनता की नजर में एक अहंकारी अधिकारी की बन गई है।
मराठी में लिखे तीन पन्नों के पत्र में उन्होंने कहा, "इससे मुझे मानसिक आघात पहुंच रहा है और मैं बेहद परेशान हूं। मुझे कारण नहीं पता, लेकिन जिस दिन से मैंने प्रोबेशनरी ऑफिसर के तौर पर ज्वाइन किया है, पुणे कलेक्टर मुझे अपमानित कर रहे हैं।"
पत्र में उन्होंने अतिरिक्त कलेक्टर के एंटे-चैम्बर पर उनके अनधिकृत कब्जे के आरोपों का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि उनके पिता दिलीप खेडकर उनके लिए लंच बॉक्स छोड़ने कलेक्टरेट में आए थे। पुणे पुलिस ने हाल ही में दिलीप खेडकर पर पुणे कलेक्टरेट में एक तहसीलदार द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर एक लोक सेवक पर अनुचित दबाव डालने का मामला दर्ज किया है।
उन्होंने लिखा, "अतिरिक्त कलेक्टर अजय मोरे ने स्वेच्छा से मुझे अपना एंटे-चैम्बर देने की पेशकश की थी और अपने कर्मचारियों को मेरे लिए इसे तैयार करने का निर्देश दिया था। कर्मचारियों ने मेरी जरूरतों के बारे में पूछा और स्टेशनरी आदि की व्यवस्था की। एक दिन बाद जिला कलेक्टर दिवसे सर के कार्यालय लौटने के बाद किसी ने उन्हें अतिरिक्त कलेक्टर के एंटे-चैम्बर में मेरे बैठने की व्यवस्था के बारे में बताया। शायद वह इससे नाराज थे, इसलिए उन्होंने संबंधित तहसीलदार को बुलाया और मेरे फर्नीचर को एंटे-चैम्बर से हटाने का आदेश दिया। जब मैंने उनसे बात की तो उन्होंने आरोप लगाया कि मैंने एंटे-चैम्बर पर अतिक्रमण किया है और उन्होंने मेरी कोई भी बात नहीं सुनी।"
उसने कहा कि अगले दिन उसने दिवासे से मिलने की कोशिश की लेकिन नहीं मिल सकी। पूजा लिखती हैं, "मैंने उनसे माफी मांगी और कहा कि वह मेरे बैठने की व्यवस्था के बारे में जो भी निर्णय लेंगे मैं उसे स्वीकार करूंगी। मुझे लगा कि मामला खत्म हो गया है।" वहीं, दिवासे ने खेडकर द्वारा लगाए गए आरोपों से इनकार किया है। पिछले हफ्ते इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए दिवासे ने कहा था कि आरोप निरर्थक हैं और बाद में लगाए गए हैं।