DU Admission: पहली कटऑफ में ही रिकॉर्ड 36 हजार दाखिले, जानें डिटेल्स
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में स्नातक पाठ्यक्रम की 70 हजार सीटों पर पहली कटऑफ में ही रिकॉर्ड करीब 36 हजार दाखिले हो गए हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में स्नातक पाठ्यक्रम की 70 हजार सीटों पर पहली कटऑफ में ही रिकॉर्ड करीब 36 हजार दाखिले हो गए हैं। इस तरह डीयू की आधे से अधिक सीटें भर चुुकी हैं। बीते साल पहली कटऑफ के आधार पर 34,814 दाखिले हुए थे।
इस बार पहली कटऑफ में सभी कॉलेजों में कुल 60,904 आवेदन हुए। इनमें से 35,805 ने फीस का भुगतान कर अपनी सीट पक्की कर ली। उधर, पेमेंट गेटवे में आई दिक्कत के बाद दाखिला समिति नेे फीस भुगतान का समय शुक्रवार आधी रात 11:59 बजे तक के लिए बढ़ा दिया। ऐसे मेें दाखिलों के आंकड़े में और बढ़ोतरी होगी। शनिवार को दूसरी कटऑफ जारी की जाएगी।
वर्ष 2019 में पहली कटऑफ के आधार पर 24 हजार, वर्ष 2020 मेें 34 हजार दाखिले हुए थे। इस बार हाई कटऑफ के बाद भी दाखिलों का आंकड़ा कॉलेजों को हैरान नहीं कर रहा है। कॉलेजों का कहना है कि इस बार जिस तरह से सभी बोर्ड का 12वीं का रिजल्ट रहा है और उसमें भी 95-100 फीसदी अंक प्राप्त करने वालों की संख्या बढ़ी है, उस कारण पहले से तय था कि जल्दी दाखिला लेने वालों की संख्या बढ़ेगी। हालांकि अनुमान है कि कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं और डीयू के एंट्रेस टेस्ट के रिजल्ट के बाद कुछ सीटें खाली होंगी।
इस बार ज्यादातर कॉलेजों में बीए ऑनर्स राजनीति शास्त्र, बीएससी ऑनर्स मैथमेटिक्स, बीए ऑनर्स इतिहास, बीए प्रोग्राम के कई कांबिनेशन में सीटें फुल हो चुकी हैं। कॉलेजों में कई कोर्स में तो सीटों से काफी अधिक दाखिले हो चुके हैं। लिहाजा कॉलेज उन कोर्सेज की दूसरी कटऑफ नहीं निकालेंगे। इनमें रामजस, हिंदू, आर्यभट्ट, श्री अरबिंदो, किरोड़ीमल, हंसराज, मिरांडा जैसे कॉलेज शामिल हैं। वहां कुछ कोर्सेज की सीटें भर गई हैं।
एनसीवेब व एसओएल में दाखिले का विकल्प
दिल्ली विश्वविद्यालय में पहली कट ऑफ में ही स्नातक कोर्सेज की 70 हजार सीटों पर पचास हजार से अधिक सीटों पर दाखिले हो गए हैं। इस कारण से अब डीयू में दाखिले के सीमित अवसर सीमित हो गए हैं। यदि कॉलेजों से शिफ्टिंग नहीं हुई तो तीसरी कट ऑफ में तो अधिकतर सीटें भर जाएंगी। इससे 80-90 फीसदी अंक वालों के लिए दाखिले की संभावना नहीं रहेगी। ऐसे छात्रों के लिए अब डीयू के नॉन कॉलिजिऐट वूमेन एजुकेशन बोर्ड (एनसीवेब) व स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) में ही दाखिले का विकल्प बचा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में अभी पहली कट ऑफ के दाखिले समाप्त हुए हैं। जिसमें हिंदू, मिरांडा, आर्यभट्ट, किरोड़ीमल, रामजस, कमला नेहरु, रामानुजन जैसे कॉलेजों केकई कोर्सेज में सीटों से अधिक दाखिले हो गए हैं। दूसरी कट ऑफ में कई कॉलेजों में राजनीति शास्त्र, इतिहास, साइकोलॉजी, फिलॉस्फी व बीए प्रोग्राम(कॉम्बिनेशन) में दाखिले का अवसर नहीं मिलेगा। यदि छात्रों ने दूसरी कट ऑफ में शिफ्टिंग शुरु नहीं की तो तीसरी कट ऑफ तक यह अवसर और सीमित हो जाएंगे। हिंदू कॉलेज प्रिंसिपल डॉ अंजू श्रीवास्तव कहती हैं कि जो छात्र 100 फीसदी पर हमारे यहां दाखिला ले रहा है उसकेदूसरे किसी कॉलेज में जाने केचांस कम हैं।
हिंदी, संस्कृत ऑनर्स, एसओएल, एनसीवेब विकल्प
एक कॉलेज प्रिंसिपल कहते हैं कि अन्य कट ऑफ में भी जो सीटें शेष रहेंगी उन पर कुछ आउट ऑफ कैंपस कॉलेजों में 93 फीसदी तक अंक वाले छात्रों को दाखिले मिलने की उम्मीद होगी। इससे कम अंक वालों को संस्कृत ऑनर्स, हिंदी ऑनर्स में ही दाखिला मिलने की गुजाइंश रहेगी, क्योंकि पॉपुलर कोर्स हाई कट ऑफ के बाद भी भर जाएंगे। इसका कारण है कि सभी बोर्ड के छात्रों के अंक काफी ज्यादा हैं।
डीयू से दाखिला से जुड़े रहे पूर्व डिप्टी डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ गुरप्रीत सिंह टुटेजा कहते हैं कि कम अंक वालों के लिए स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग व एनसीवेब दाखिले का विकल्प बन सकता है। दोनों ही जगह पढ़ाई करने पर डीयू की डिग्री मिलती है और पाठ्यक्रम भी समान है। फर्क इतना है कि यहां नियमित कक्षाएं नहीं लगती हैं। अभी इन दोनों जगह दाखिला प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग में दाखिले में पांच कोर्सेज बीए प्रोग्राम, बीकॉम, बीकॉम ऑनर्स, बीए ऑनर्स राजनीति विज्ञान, बीए ऑनर्स अंग्रेजी में दाखिले होते हैं। यहां दाखिले के लिए न्यूनतम 45 फीसदी अंकों की अनिवार्यता होती है। बीते कुछ सालों में देखने में आ रहा है कि 95 फीसदी से अधिक अंक वाले भी यहां दाखिला लेते हैं। वहीं एनसीवेब में बीए व बीकॉम की पढ़ाई होती है। एनसीवेब के लिए कट ऑफ जारी की जाती है जो कि 90 फीसदी तक होती है। इसमें केवल दिल्ली की लड़कियों को ही दाखिला मिलता है।
एक वर्ग का नहीं सबका होता है डीयू कुलपति- प्रो योगेश सिंह
डीटीयू के पूर्व कुलपति प्रो योगेश सिंह ने दिल्ली विश्वविद्यालय के 23 वें नवनियुक्त कुलपति के रुप में शुक्रवार को पदभार संभाल लिया। कार्यभार संभालने के बाद मीडिया से रुबरू हुए प्रो योगेश सिंह ने कहा कि डीयू किसी एक वर्ग का नहीं सबका होता है। डीयू का कुलपति होना उनकेलिए सम्मान की बात है। मीडिया से विभिन्न मुद्दों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अभी किसी भी विषय पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। वह डीयू की चुनौतियों को समझकर आगे की रणनीति को तय करेंगे।
विश्वविद्यालय का हित सर्वोपरि
कुलपति ने बातचीत में कहा कि विश्वविद्यालय का कुलपति होने केनाते यहां का हित सर्वोपरि है। डीयू में विकास की दिशा में आगे बढने से पहले यहां की चुनौतियों को समझना होगा और उसकेबाद ही आगे की रणनीति को तय किया जाएगा। साथ ही शिक्षकों व छात्रों को साथ लेकर डीयू के विकास की दिशा को आगे बढ़ाएंगे।
त्वरित मुद्दों को प्राथमिकता केसाथ देखा जाएगा
प्रो सिंह ने कहा कि डीयू और डीटीयू दो अलग-अलग संस्थान हैं। हर संस्थान की एक पंरपरा होती है जिसका आदर जरुरी है। डीयू केजो भी त्वरित मुद्दे होंगे उन्हें प्राथमिकता के आधार पर देखेंगे। डीन व यहां केअधिकारियों के साथ मिलकर यहां की व्यवस्था को समझेंगे और हल करेंगे। यहां की व्यवस्था को और बेहतर कैसे बनाया जा सकता है देखेंगे।