3,000 रुपये की लागत से बनाया ड्रोन, पंजाब की छात्राओं ने किया अविष्कार

बच्चे यदि अपने दिमाग पाजीटिव चीजों में लगाएं तो वह अपना हुनर दुनिया को बता सकते हैं।

Update: 2021-08-23 10:50 GMT

अमृतसर। बच्चे यदि अपने दिमाग पाजीटिव चीजों में लगाएं तो वह अपना हुनर दुनिया को बता सकते हैं। बस, इसके लिए जरूरत होती है सही मार्गदर्शन की। अमृतसर के शिवाला बाग भाइयां स्थित सरकारी कन्या सीनियर सेंकेंडरी स्कूल की छात्राओं ने कुछ ऐसा ही कमाल कर दिया। यहां की छात्राओं ने महज तीन हजार रुपये की लागत से ड्रोन तैयार किया है। यही नहीं, इस स्कूल की ही छात्राओं ने ऐसा डस्टबिन भी तैयार किया है जो कूड़ा आते ही खुद खुल जाएगा और फिर बंद हो जाएगा।

स्कूल की प्लस टू मेडिकल की छात्रा सृष्टि व प्लस वन की छात्रा हिना ने अध्यापक मंदीप कौर, राजीव वोहरा व जसमीत सिंह की अगुआई में ड्रोन बनाने में कामयाबी हासिल की है। इसमें चार मोटर फिट की गई हैं। ड्रोन के दो लेफ्ट प्रोपेलर, दो राइट प्रोपेलर हैं। इसके अलावा अरडीनो बोर्ड में प्रोग्रामिंग दर्ज है। इसे स्मार्ट फोन से भी आपरेट किया जा सकता है। ड्रोन को आपरेट करते समय आपको मोबाइल पर ही आंकड़ा व लोकेशन दिख जाती है। इसके अलावा कितनी हाइट तक उड़ाना है यह भी मोबाइल से आपरेट किया जा सकता है।
छात्रा सृष्टि व हिना ने बताया कि उनके आदर्श पूर्व राष्ट्रपति व वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम हैं। उनकी तरह वह ऊंचा मुकाम हासिल करना चाहती हैं। प्रिंसिपल जेके शिंगारी ने बताया कि ड्रोन को बनाने के लिए राशि अटल इनोवेशन मिशन सप्लाई के तहत विद्यार्थियों को मिली है। विद्यार्थियों ने अपना पूरा हुनर इस ड्रोन को बनाने में लगा दिया। इसको बनाने में करीब 3000 रुपये की लागत आई है।
कचरे के डिब्बे के पास पहुंचते ही खुल जाएगा ढक्कन
खेलने-कूदने की उम्र में विद्यार्थी अगर अपनी सोच को आविष्कार का रूप दे दें तो हैरानी होना स्वाभाविक है। सरकारी कन्या सीसे स्कूल शिवाला बाग भाइयां की छात्राओं ने कोरोना महामारी के बीच ऐसा स्मार्ट डस्टबिन तैयार किया है, जिसके पास पहुंचते ही ढक्कन खुद खुल जाएगा। इन बच्चों का यह आविष्कार सरकारी कन्या सीसे स्कूल शिवाला बाग भाइया की अटल टिंकरिंग लैब में संग्रहित है। स्मार्ट डस्टबिन को तैयार करने वाली छात्रा करमनप्रीत कौर और बनीता प्लस वन में पढ़ती हैं।
दोनों छात्राओं ने बताया कि लोग अकसर कूड़ा इधर-उधर फेंक देते थे, इसलिए वह ऐसा डस्टबिन बनाना चाहते थे कि लोग कचरे को व्यवस्थित ढंग से बिना ढक्कन उठाए डस्टबिन में डाले और कचरा फेंकने के बाद ढक्कन स्वयं बंद हो जाए। इस आइडिया को उन्होंने अपने अध्यापक गणित के लेक्चरर मुख्तार सिंह व कंप्यूटर अध्यापक ललित कुमार से शेयर किया। उसके बाद इस आइडिया पर काम शुरू हो गया। अब स्मार्ट डस्टबिन बन कर तैयार हो गया है।
इस डस्टबिन का एक और फायदा है यह खुला नहीं रहता। कचरा फेंकने के बाद यह स्वयं बंद हो जाएगा और इससे बदबू भी नहीं फैलती। यह माडल उन्होंने अपने मैथ लेक्चरर मुख्तार सिंह व ललित कुमार की अगुआई में तैयार किया, जिन्होंने उन्हेंं गाइड भी किया। मुख्तार सिंह ने बताया कि यह उपकरण बनाने के लिए उन्हेंं अटल इनोवेशन मिशन के तहत राशि केंद्र सरकार से मिली थी। इस राशि से ही उपकरण तैयार किया।
इस डस्टबिन में अल्ट्रोसोनिक सेंसर, अरडीनो बोर्ड और सर्वो मोटर जैसे उपकरण लगाए गए हैं। कचरा फेंकने वाला जैसे ही स्मार्ट डस्टबिन के पास आएगा तो ढक्कन खुलेगा और कचरा फेंकने के बाद जैसे ही व्यक्ति पीछे हटेगा ढक्कन स्वयं बंद हो जाएगा। इस स्मार्ट डस्टबिन को बनाने में करीब 2500 रुपये की लागत आई है और डस्ट बिन की एक फीट लेंथ, एक फीट चौड़ाई, दो फुट हाइट है।
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