DRDO का नया मिशन: PM CARES FUND से बनेंगे 500 ऑक्सीजन प्लांट, फाइटर जेट Tejas में लगी तकनीक का होगा इस्तेमाल

Update: 2021-04-28 09:39 GMT

देश में कोरोना वायरस पीड़ितों को हो रही ऑक्सीजन की किल्लत से छुटकारा देने के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक बेहतरीन कदम उठाने का फैसला किया है. DRDO अगले तीन महीने में 500 ऑक्सीजन प्लांट्स बनाएगा. ये ऑक्सीजन प्लांट्स स्वदेशी तेजस तकनीक से बनेंगे. इन प्लांट्स के जरिए पूरे देश में ऑक्सीजन की सप्लाई की जाएगी. 

DRDO ने खुद इन 500 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट्स (MOP) की तकनीक विकसित की है. इसी तकनीक से स्वदेशी हल्के मल्टीरोल कॉम्बैट फाइटर जेट में ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती है. यानी अब जिस तकनीक से लड़ाकू विमान तेजस के अंदर बैठे पायलट्स को ऑक्सीजन मिलती है, उसी तकनीक से कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन बनाकर दी जाएगी. 
एक प्लांट के जरिए प्रति मिनट 1000 लीटर ऑक्सीजन बनाया जा सकता है. यह सिस्टम एक बार में 190 मरीजों को ऑक्सीजन दे सकता है. DRDO ने कहा कि इस तकनीक से प्रति दिन 195 ऑक्सीजन सिलेंडर को भरा जा सकता है. जो 190 कोरोना मरीजों को 5 लीटर ऑक्सीजन प्रति मिनट की दर से ऑक्सीजन की सप्लाई होगी. 
DRDO ने कहा कि अस्पताल इस तकनीक से अपने कैंपस के अंदर ही काफी अधिक मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकते हैं. यह काफी सस्ती भी है. इससे ऑक्सीजन सिलेंडर या टैंकर मंगाने का खर्च बचेगा. साथ ही ऑक्सीजन की सप्लाई अस्पतालों में कम नहीं होगी. कोरोना मरीजों को लगातार ऑक्सीजन की सप्लाई होती रहेगी.
एक बार यह MOP प्लांट अस्पताल में लग जाए तो उसके बाद अस्पताल को ऑक्सीजन मंगाने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी. साथ ही सिलेंडर पर निर्भरता भी खत्म होगी. अगर सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था नहीं तो सिलेंडर में ऑक्सीजन भरकर मरीजों को जिंदगी की सांस दी जा सकती है.
DRDO ने बताया कि इस तकनीक को उन्होंने टाटा एंडवास्ंड सिस्टम बेंगलुरु और ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड कोयंबटूर को ट्रांसफर किया है. ये दोनों संस्थान मिलकर देश के विभिन्न अस्पतालों में 380 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट्स बनाएंगे. इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम देहरादून के साथ मिलकर औद्योगिक इकाइयां 500 लीटर क्षमता वाले 120 प्लांट्स लगाएंगे. 
मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट्स (Medical Oxygen Plants - MOP) तेजस फाइटर जेट में लगाए गए ऑक्सीजन प्लांट का बड़ा रूप है. इससे अस्पतालों को सीधे ऑक्सीजन की सप्लाई दी जा सकती है या फिर ऑक्सीजन सिलेंडरों को भरा जा सकता है. 
DRDO ने बताया कि MOP में प्रेशर स्विंग एडसॉर्पशन (Pressure Swing Adsorption - PSA) तकनीक का उपयोग किया गया है. इसके साथ ही इसमें मॉलीक्यूलर सीव (Molecular Sieve - Zeolite) टेक्नोलॉजी भी लगाई गई है. इस तकनीक से वायुमंडल में मौजूद हवा को खींचकर उसमें से ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा सकता है. 
DRDO ने बताया कि तेजस टेक्नोलॉजी वाले 5 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट्स को दिल्ली-NCR में लगाया जाएगा. इसके लिए साइट्स का चयन किया जा रहा है. इस तकनीक पर आधारित ऑक्सीजन प्लांट्स पहले ही उत्तर-पूर्वी राज्यों और लेह-लद्दाख में सेना के ठिकानों पर लगाए जा चुके हैं. 
DRDO ने टाटा और ट्राइडेंट कंपनी के साथ जिन 380 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट्स को बनाने का फैसला किया है, उसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO के इस प्रयास और तकनीक की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि DRDO की इस तकनीक से लाखों कोरोना मरीजों को जिंदगी की सांस मिलेगी. ऐसे संकट की घड़ी में डीआरडीओ का यह फैसला स्वागत योग्य है.
DRDO के प्रमुख डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने भरोसा दिलाया है कि DRDO अपनी तकनीकों की बदौलत देश में सभी कोरोना मरीजों तक ऑक्सीजन की सप्लाई करने को तैयार है. वो सभी बड़े अस्पतालों में इस तकनीक से प्लाटंस लगवाना सुनिश्चित करेगा. साथ ही इसके लिए अलग-अलग स्वास्थ्य एजेंसियों से भी कॉर्डिनेट करेगा.


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