डॉ कृष्‍णा एला! ये है वो डॉक्टर जिनके कारण भारत में वैक्सीन का सपना हुआ पूरा, पूरी खबर पढ़कर गर्व से चौड़ा हो जाएगा हर भारतीय का सीना

Update: 2021-01-04 11:56 GMT

हैदराबाद शहर की हलचल से दूर 51वर्षीय डॉ कृष्णा एला जीनोम घाटी में अपनी प्रयोगशाला में काम करने में व्यस्त हैं. आज वैक्‍सीन जगत में इंडिया फर्स्ट का ताज भी उनके सिर पर सजा है. ये हैं कोवैक्‍सीन को बनाने के पीछे की रणनीति पर काम करने वाले खास व्‍यक्‍ति डॉ कृष्‍णा एला. जानिए इनके बारे में ये खास बातें जिन्‍हें जानकर आपको भी गर्व होगा.

भारत सरकार द्वारा कोरोना वैक्‍सीन COVAXIN को आपातकालीन उपयोग की अनुमति के बाद एक कंपनी है जो दुनियाभर की नजरों में आ गई है. COVID-19 वायरस के खिलाफ ये वैक्सीन इम्‍युनिटी पैदा करती है. बता दें क‍ि ये कंपनी है भारत बायोटेक, इसके चेयरमैन और एमडी कृष्णा एला को भी पूरी दुनिया में सराहा जा रहा है.
आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सीमा पर स्थित तिरुथानी के मध्यमवर्गीय किसान परिवार में जन्‍मे डॉ कृष्णा एला पारंपरिक खेती को अपने पेशे के रूप में अपनाना चाहते थे. लेकिन उनके पिता थे चाहते थे कि वह दूसरे पेशे को चुनें. इसलिए पढ़ाई के बाद कृष्णा एला ने एक जर्मन केमिकल और फार्मास्यूटिकल कंपनी के साथ काम करना शुरू कर दिया.
कंपनी में काम करते हुए डॉ एला ने अमेरिका में पढ़ने के लिए फेलोशिप अर्जित की. इससे पहले डॉ कृष्णा एला ने कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बैंगलोर से मेडिकल में स्नातक किया. इसके बाद हवाई विश्वविद्यालय अमेरिका से अपने एमएस के लिए गए और दक्षिण कैरोलिना विश्वविद्यालय-चार्ल्सटन में संकाय पद लेने से पहले उन्‍होंने विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय से पीएचडी की.
परदेस में काम करते हुए उन्होंने कभी अपने काम का आनंद नहीं लिया और इसलिए डॉ एला 1996 में अपनी पत्नी सुचित्रा के साथ भारत लौट आए और दंपति ने कुल 12.5 करोड़ की लागत से भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड की स्थापना की.
आज ये कंपनी 500 करोड़ से अधिक मूल्य की है और इसने यूनिसेफ, जीएवीआई और अन्य वितरण चैनलों के माध्यम से 150 से अधिक विकासशील देशों में 4 बिलियन से अधिक वैक्सीन की खुराक सबसे गरीब और सबसे अधिक लोगों तक पहुंचाई है.
भारत बायोटेक इंडिया एक वैश्विक कंपनी है ज‍िसके 140 से अधिक पेटेंट के साथ, कंपनी के पास 16 से अधिक टीके, 4 जैव-चिकित्सा, 116 देशों में पंजीकृत हैं और WHO ने अपने पोर्टफोलियो में कंपनी के प्रीक्वालिफाइड टीके लगाए हैं. इससे पहले भारत बायोटेक ने रोटा वायरस प्रेरित डायरिया संक्रमण और मौत के खिलाफ दुनिया का सबसे किफायती टीका रोटावैक को सफलतापूर्वक डेवलेप क‍िया है.
भारत बायोटेक ने दुनिया की पहली क्लिनिकल तौर पर सफल और डब्ल्यूएचओ प्री-क्वालिफाइड टायफॉइड कंजुगेट वैक्सीन (टीसीवी) टाइपबैक टीसीवी को भी विकसित और लॉन्च किया है, जो 6 महीने के बच्चे को भी दिया जा सकता है.
भारत बायोटेक ही पहली कंपनी है जिसने 2018 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित ह्यूमन चैलेंज स्‍टडी के माध्यम से टाइफाइड कंजुगेट वैक्सीन की एफ‍िसिएंशी साबित की है.


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