देश में इस समय राहुल गांधी ने हिंदू और हिंदुत्व पर बहस छेड़ दी है। उनका यह बयान अगले साल पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में फायदा पहुंचाएगा या नुकसान यह देखने वाली बात होगी। लेकिन बीजेपी के साथ साथ दूसरे हिंदूवादी संगठन उन पर हमलावर हैं। बीजेपी का कहना है कि राहुल गांधी से आप उम्मीद नहीं कर सकते हैं, उनकी समझ है ही नहीं। इन सबके बीच आरएसएस के कद्दावर चेहरे इंद्रेश कुमार ने भी कहा कि हिंदू और हिंदुत्व को अलग अलग करके देखने का मतलब है कि आत्मा को शरीर से अलग करना। इस तरह के प्रत्यारोपों के बीच राहुल गांधी ने अमेठी में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदू वो जो महात्मा गांधी को मानता हो और हिंदुत्ववादी वो जो नाथू राम गोडसे के पुजारी हैं।
हिंदू और हिंदुत्ववादी में यह है बड़ा फर्क
अमेठी में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि एक 'हिंदुत्ववादी' गंगा में अकेला नहाता है, जबकि एक हिंदू करोड़ों लोगों के साथ नहाता है... नरेंद्र मोदी कहते हैं कि वह एक हिंदू है, लेकिन उसने सच्चाई की रक्षा कब की? उसने लोगों से COVID से छुटकारा पाने के लिए थालियों को फोड़ने के लिए कहा। ..हिंदू या हिंदुत्ववादी ?: उन्होंने कहा कि एक तरफ नरेंद्र मोदी कहते हैं कि वो दो करोड़ युवाओं को रोजगार दे रहे हैं किसी को रोजगार मिला। इस सवाल का जवाब है नहीं मिला, यही तो हिंदुत्ववादी है। नरेंद्र मोदी और उनसे जुड़े नफरत और झूठ की कश्ती पर सवार हैं। अब ऐसे लोगों से आप क्या उम्मीद कर सकते हैं।
जानकारों का कहना है कि दरअसल राहुल गांधी ने जो नया अवतार लिया है वो कांग्रेस के लिए मुश्किल भी खड़ी कर सकता है। सवाल यह है कि क्या जनता इस बात को समझ पाएगी कि वो क्या है खासतौर से हिंदू मतदाता। यह एक तरह से भ्रम की स्थिति पैदा करने वाला है। बीजेपी और उससे जुड़े संगठन यह लगातार सवाल पूछेंगे कि कहीं यह अल्पसंख्यक मतदाताओं को अपने पाले में करने की कोशिश तो नहीं। यही नहीं विपक्षी कहेंगे कि कांग्रेस हमेशा से हिंदू समाज को अलग थलग कर सत्ता की सीढ़ी चढ़कर सिंहासन पर पहुंचने की कोशिश करती रही है। राहुल गांधी आज जो भी कुछ कर रहे हैं वो सिर्फ सिर्फ सत्ता पाने की कवायद है।