अपने मुख से ऐसी कोई बात नहीं बोले जो सत्य होने पर पछतावा करना पड़े: ठाकुर
भीलवाड़ा। हम भगवान से प्रेम करते है बड़ी बात नहीं है पर भगवान हम से प्र्रेम करे तो बड़ी बात है। कभी ऐसी कोई बात अपने मुख से नहीं बोले जिसके सत्य होने पर पछतावा करना पड़े। भगवान को पाने की पहली शर्त है हमारा मन छलरहित निर्मल व निष्कपट होना चाहिए। भगवान से जिनका सम्बन्ध जुड़ गया उनका कल्याण होने में कोई संदेह नहीं होता है। हमे पवित्र व पावन भाव रखते हुए भगवान की नजर में उंचा उठना है। ये विचार परम पूज्य शांतिदूत पं. देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने गुरूवार को शहर के आरसी व्यास कॉलोनी स्थित मोदी ग्राउण्ड में विश्व शांति सेवा समिति के तत्वावधान में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा महोत्सव के पांचवें दिन कथा में भगवान श्रीकृष्ण की बाललीला, गोवर्धनपूजा, छप्पन भोग प्रसंग आदि प्रसंगों का वाचन करने के दौरान कथा में व्यक्त किए। कथा में श्रीमद् भागवत कथा पांडाल शाम को उस समय गिरिराज धरण के जयकारों से गूंज उठा जब भगवान गिरिराज को छप्पन भोग लगाया गया। हनुमान टेकरी महंत बनवारीशरण काठियाबाबा ने भगवान को छप्पन भोग लगाया। गिरिराज भगवान का रूप विट्ठल काष्ट ने धारण किया। छप्पन भोग की सजाई गई झांकी के दर्शन करने के लिए भक्तगण आतुर रहे। छप्पन भोग लगाने के दौरान पांडाल में निरन्तर जयकारे गूंजते रहे और हर तरफ भक्ति से ओतप्रोत माहौल दिखा। कथा श्रवण के लिए शहरवासियों के साथ आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से भी भक्तों सैलाब मोदी ग्राउण्ड में उमड़ रहा है। कथा के दौरान विभिन्न भजनों पर भी श्रद्धालु भक्ति रस में सराबोर होकर थिरकते रहे। कथा श्रवण कराते हुए पं. देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने कहा कि हमारे अच्छे-बुरे कार्य व कर्म कोई जान न जाने पर ठाकुरजी सब जानते है ओर वह समय आने पर उनका फल भी अवश्य प्रदान करते है। तुम कितना भी प्रयास ओर चालाकी कर लो काल से कोई नहीं बचा सकता। इसलिए ये प्रयास करे कि मौत जब भी आए तो चेहरे पर उदासी न छाए।
मौत को भी जो उत्सव बना देता है उसका जीवन सफल व सार्थक हो जाता है। उन्होंने कहा कि भगवान को पाने की राह में हमारे सबसे बड़े शत्रु काम,क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या आदि है। भक्ति के वशीभूत होकर भगवान जिसे पकड़े लेते है उसे छोड़ते नहीं है ओर जिसे छोड़ देते है उसे फिर पकड़ते नहीं है। उन्होंने बालकृष्ण की माखन लीला प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि जो वस्तु अपनी हो उसे लेना चोरी नहीं कह सकते। आयोजन समिति के सहसचिव बालमुकुंद सोनी ने बताया कि पांचवें दिन हनुमान टेकरी के महंत श्रीबनवारीशरण काठियाबाबा,अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश राजपालसिंह, जिला सेशन न्यायाघीश हरिवल्लभ खत्री, मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी लोकेश शर्मा, ,श्यामसुन्दर सुधीरजी नवनीतजी नौलखा, प्रहलाद अजमेरा, माहेश्वरी सभा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राघेश्याम सोमानी, सुशील दरक, सत्यनारायण नौलखा, मधुसूदन नौलखा, विनोद नौलखा, रामेश्वरलाल सोडानी, सुरेश आगाल, अभिषेक न्याति, सत्यनारायण सोनी, नीलम नौलखा, अनिता नौलखा, रामकिशन सोनी, नीतू नौलखा, उम्मेदसिंह राठौड़, डॉ. कुलदीप नाथावत, हेमेन्द्रसिंह, नरेन्द्रसिंह, गायक हर्षल चंदवानी, बार एसोसिएशन कार्यकारिणी के उपाध्यक्ष गोपाल सोनी, महासचिव वेदप्रकाश पत्रिया, कोषाध्यक्ष विनय लोमरा, विजय खण्डेलवाल, रामपालजी, लक्ष्मीनारायण काबरा, राजेन्द्र गंदोड़िया, डॉ. अमित तुरकिया, लीलादेवी नौलखा, अल्पना कचोलिया, अंजना शर्मा, भावना पोरवाल, संतोष दरक, शिल्पा काष्ट, सविता खण्डेलवाल, वेदिका सोनी, अनिल बोरदिया, लताजी, संगीता शर्मा, उषा शर्मा आदि ने व्यास पीठ की आरती करके देवकीनंदन ठाकुर से आशीर्वाद प्राप्त किया। अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के संयोजक श्यामसुन्दर नौलखा, अध्यक्ष आशीष पोरवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष एडवोकेट हेमेन्द्र शर्मा, महासचिव एडवोकेट राजेन्द्र कचोलिया, समिति के कोषाध्यक्ष राकेश दरक, सचिव धर्मराज खण्डेलवाल,सह सचिव बालमुकुंद सोनी, संयुक्त सचिव दिलीप काष्ट आदि पदाधिकारियों ने किया। कथा के दौरान राधे-राधे की गूंज के साथ भजनों पर भक्तगण थिरकते रहे। सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के तहत छठे दिन शुक्रवार 29 सितम्बर को उद्धव चरित्र, रूक्मिणी विवाह, रास पंचाध्यायी प्रसंग का वाचन होगा।