केंद्र सरकार के खिलाफ 20 सितंबर को प्रदर्शन करेंगी डीएमके-सहयोगी पार्टियां, कृषि कानूनों को लेकर रहेगा मुद्दा

केंद्र सरकार के खिलाफ 20 सितंबर को प्रदर्शन करेंगी डीएमके-सहयोगी पार्टियां

Update: 2021-09-05 18:51 GMT

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) और उसके सहयोगी दलों ने रविवार को कहा कि वो भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ 20 सितंबर को पूरे राज्य में प्रदर्शन करेंगे. डीएमके और उसके सहयोगी दलों ने कहा है कि कृषि कानूनों को वापस लेने से मना करने समेत कई मुद्दों पर केंद्र के जन विरोधी और अलोकतांत्रिक कदमों के खिलाफ 20 से 30 सितंबर के बीच विपक्षी दलों के प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी आंदोलन के तहत ये प्रदर्शन किया जाएगा.

डीएमके, कांग्रेस, वाम दल, एमडीएमके, आईयूएमएल, वीसीके, एमएमके, केएमडीके और टीवीके के संयुक्त बयान में कहा गया कि पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों की बैठक में लिए गए फैसलों के अनुसार तमिलनाडु में काले झंडे लेकर प्रदर्शन किया जाएगा. पिछले महीने तमिलनाडु विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने का अनुरोध किया था.
इन कानूनों के खिलाफ किसान महीनों से दिल्ली से लगे सीमावर्ती इलाकों में प्रदर्शन कर रहे हैं. सत्ताधारी डीएमके के सहयोगी दलों कांग्रेस, भाकपा और माकपा ने प्रस्ताव का समर्थन किया. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सदन को बताया कि कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले किसानों और राजनीतिक दलों के नेताओं के खिलाफ तमिलनाडु में दर्ज किए गए सभी मामले वापस लिए जाएंगे.
स्टालिन ने संविधान में निहित संघवाद के सिद्धांत के खिलाफ बनाए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का आह्वान करते हुए प्रस्ताव पेश किया और इसे सर्वसम्मति से पारित किए जाने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि किसानों के हितों की रक्षा और खेती को बड़ी कंपनियों के कब्जे में जाने से रोकने के लिए केंद्र को इन कानूनों को वापस लेना चाहिए. प्रस्ताव में तीनों कृषि कानूनों को सूचीबद्ध करते हुए कहा गया कि हमारे देश के कृषि विकास और किसानों के कल्याण के लिए चूंकि ये तीनों कानून अनुकूल नहीं हैं, इसलिए इन्हें केंद्र सरकार की तरफ से निरस्त किया जाना चाहिए.

विधानसभा अध्यक्ष ने प्रस्ताव को सर्वसम्मति से किया पारित

प्रस्ताव में कहा गया कि ये कानून किसानों के कल्याण के खिलाफ हैं. स्टालिन ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन का सम्मान करती है. वहीं एआईएडीएमके के उपनेता ओ पनीरसेल्वम ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कृषि कानूनों के नुकसान की बात प्रस्ताव में कही है, लेकिन उसके फायदों पर भी चर्चा होनी चाहिए. पनीरसेल्वम ने जानना चाहा कि क्या राज्य सरकार ने इस मामले पर केंद्र को पत्र लिखा है और क्या उसे कोई जवाब प्राप्त हुआ है. बाद में विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु ने प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया.
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