नई दिल्ली। डिजिटल इंडिया सामान्य नागरिकों के लिए सुविधा और उनके सशक्तीकरण का एक बहुत बड़ा माध्यम है। इसने सिर्फ गरीबों की नहीं, बल्कि मध्यम वर्ग और युवाओं की जिंदगी भी बदल दी। डिजिटल इंडिया में सबको अवसर, सबको सुविधा और सबकी भागीदारी है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के छह साल पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया पारदर्शी, भेदभाव रहित व्यवस्था और भ्रष्टाचार पर चोट है। डिजिटल इंडिया समय, श्रम और धन की बचत है। डिजिटल इंडिया मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस है और इससे सरकारी तंत्र तक हर किसी की पहुंच है। इस मौके पर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद भी मौजूद थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल इंडिया की बदौलत कोरोना के इस डेढ़ साल में ही भारत ने विभिन्न योजनाओं के तहत करीब सात लाख करोड़ रुपये डीबीटी के माध्यम से लोगों के बैंक अकाउंट में भेजे हैं। भारत में सिर्फ भीम यूपीआइ से ही हर महीने करीब पांच लाख करोड़ रुपये का लेनदेन होता है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत एक लाख 35 हजार करोड़ रुपये 10 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक अकाउंट में जमा किए गए हैं। डिजिटल इंडिया ने वन नेशन, वन एमएसपी की भावना को भी साकार किया है। इस वर्ष गेहूं की रिकार्ड खरीद के लगभग 85 हजार करोड़ रुपये सीधे किसानों के बैंक खाते में पहुंचे हैं। ई-नाम पोर्टल से ही अब तक देश के किसान एक लाख 35 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का लेन-देन कर चुके हैं।
अब 10वीं, 12वीं, कालेज, यूनिवर्सिटी की मार्कशीट से लेकर दूसरे तमाम दस्तावेज सीधे डिजि-लाकर में सहज रूप से रखे जा सकते हैं। अभी कोरोना काल में कई शहरों के कालेज एडमिशन के लिए स्कूल सर्टिफिकेट्स का वैरिफिकेशन डिजि-लाकर की मदद से ही कर रहे हैं।
ड्राइविंग लाइसेंस हो, बर्थ सर्टिफिकेट हो, बिजली का बिल भरना हो, पानी का बिल भरना हो, इनकम टैक्स रिटर्न भरना हो, इस तरह के अनेक कामों की प्रक्रियाएं डिजिटल इंडिया की मदद से बहुत आसान हो गईं। गांवों में तो ये सब अब अपने घर के पास कामन सर्विस सेंटर से हो रहा है।