लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा चुनाव में अंतर?

Update: 2023-07-28 03:56 GMT

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। देश के लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है। लोकतंत्र का मतलब होता है एक ऐसी सरकार, जहां लोग कानून बनाने के लिए अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं। लोकतांत्रिक देश में जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता की ही सरकार होती है। लोकतंत्र में शासन का प्रमुख लोगों द्वारा चुना जाता है, जिसके लिए नियमानुसार चुनाव होते हैं।

भारतीय लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया

भारतीय लोकतंत्र की चुनाव प्रक्रिया के अलग-अलग स्तर हैं, इसके कई आयाम और मायने हैं। संविधान में पूरे देश के लिए एक लोकसभा तथा राज्यों के लिए अलग विधानसभा का प्रावधान है। लोकसभा की कुल 543 सीटों में से विभिन्न राज्यों से अलग-अलग संख्या में जनता के प्रतिनिधि चुने जाते हैं।

देश में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता अपनी पसंद के किसी एक उम्मीदवार को वोट दे सकते हैं, इसके बाद विजेता बनकर जनता का प्रतिनिधि वही बनता है, जिस उम्मीदवार को सबसे अधिक वोट मिलता है।

भारत में संसदीय प्रणाली

भारत में एक संसदीय प्रणाली है, जिसमें जन प्रतिनिधियों की शक्तियों को केंद्र सरकार और राज्यों के बीच वितरित किया जाता है। इस क्रम में राष्ट्रपति देश का प्रमुख मुखिया और सभी रक्षा बलों का सर्वोच्च कमांडर-इन-चीफ होता है। वहीं, प्रधानमंत्री लोकसभा के राष्ट्रीय चुनावों में बहुमत प्राप्त राजनीतिक गठबंधन की पार्टी का नेता होता है। वह देश का प्रधानमंत्री भारत सरकार की कार्यकारी शाखा का प्रमुख नेता होता है।

लोकसभा चुनाव

लोकसभा को हाउस ऑफ पीपल (लोअर हाउस) भी कहा जाता है।

लोक सभा जनता के प्रतिनिधियों से बनी होती है।

लोकसभा का उम्मीदवार देश की जनता द्वारा चुना जाता है।

लोकसभा में कुल 552 सीट होती है।

लोकसभा में राज्यों का प्रतिनिधित्व करने के लिए 530 सदस्य और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करने के लिए 20 सदस्य शामिल हो सकते हैं।

लोकसभा सदस्य बनने के लिए 25 वर्ष से अधिक आयु होना चाहिए। इसके साथ ही व्यक्ति का भारतीय नागरिक होना जरूरी है।

लोकसभा सदस्यों का कार्यकाल पांच साल के लिए होता हैं। लेकिन प्रधानमंत्री की सलाह पर उसे राष्ट्रपति पहले भी भंग कर सकता है।

लोकसभा को असामान्य स्थिति या अन्य बड़े कारणों के चलते भंग भी किया जा सकता है।

लोकसभा का काम कानून बनाना, कानून में संशोधन करना , मंत्रिपरिषद के कामों पर अपना नियंत्रण रखना और जनता पर कर लगाने और खर्च करने का निर्णय लेना होता है।

राज्यसभा

राज्यसभा को काउंसिल ऑफ स्टेट्स (अपर हाउस) भी कहा जाता है।

राज्यसभा के उम्मीदवार MLA (Member Of Lagislative Assembly) द्वारा चुने जाते हैं और इसका चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है।

राज्यसभा में कुल 250 सीट हैं, जिसमें 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं।

राज्यसभा के चुनाव में सभी विधानसभाओं के विधायक हिस्सा लेते हैं। हालांकि इसमें विधान परिषद के सदस्य वोट नहीं कर सकते।

राज्यसभा एक स्थाई सदन है और इसे भंग नहीं किया जा सकता है।

राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है, इसमें हर दो साल पर एक तिहाई सदस्य रिटायर हो जाते हैं, जिस वजह से हर दो साल पर चुनाव होता है।

राज्य विधानसभा या विधानसभा चुनाव

राज्य विधान सभा के सदस्य सीधे वोट द्वारा चुने जाते हैं।

उम्मीदवार को उन उम्मीदवारों में से चुना जाता है जो अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ते हैं।

प्रत्येक युवा उम्मीदवार अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में मतदान कर सकता है।

राज्य विधान सभा चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार को विधान सभा सदस्य (एमएलए) के रूप में जाना जाता है।

एक विधायक पांच साल तक या राज्यपाल द्वारा निकाय को भंग किए जाने तक पद पर बना रहता है।

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