नई दिल्ली: भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक को सोमवार को भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक घटनाक्रम बताया। साथ ही रूस ने यह भी साफ किया है कि इस बैठक में उसकी कोई भी भूमिका नहीं थी।
अलीपोव ने कहा कि रूस के कजान शहर में हाल में संपन्न हुआ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ‘पूरी तरह सफल’ रहा और यह ‘कोई विशिष्ट नहीं, बल्कि समावेशी मंच’ है। अलीपोव ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘ब्रिक्स पश्चिम-विरोधी नहीं, बल्कि गैर-पश्चिम देशों का समूह है।’
यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी और शी के बीच हुई बैठक में रूस की कोई भूमिका थी, अलीपोव ने कहा, ‘हमने इसमें कोई भूमिका नहीं निभाई, लेकिन हमें खुशी है कि यह बैठक कजान में हुई। हम इस बैठक का तहे दिल से स्वागत करते हैं।’
मोदी और शी ने 23 अक्टूबर को हुई बैठक में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त और सैनिकों को पीछे हटाने को लेकर भारत-चीन के बीच हुए समझौते का समर्थन किया था। दोनों नेताओं ने विभिन्न द्विपक्षीय वार्ता तंत्रों को फिर शुरू करने के निर्देश जारी किए थे, जो 2020 में भीषण सैन्य झड़प से प्रभावित संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयासों का संकेत था।
रूसी राजदूत ने कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर हुई चीन-भारत वार्ता के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, ‘यह वार्ता लगभग पांच वर्षों के बाद हुई और यह भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में एक सकारात्मक घटनाक्रम है।’
अलीपोव ने एक प्रमुख भारतीय अखबार में प्रकाशित उस खबर का जिक्र किया, जो यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साक्षात्कार पर आधारित थी। उन्होंने कहा कि साक्षात्कार में जेलेंस्की ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को एक बड़ी ‘विफलता’ बताया था। अलीपोव ने जेलेंस्की की बात का विरोध किया और कहा कि कजान में हुआ शिखर सम्मेलन 'पूरी तरह से सफल था।'