डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय की प्रेस कांफ्रेंस: लुधियाना ब्लास्ट केस में किए अहम खुलासे

Update: 2021-12-25 07:45 GMT

चंडीगढ़: पंजाब के कार्यकारी डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने लुधियाना अदालत परिसर में हुए बम ब्लास्ट मामले में शनिवार काे अहम खुलासा किया। डीजीपी ने कहा कि ब्लास्ट का मुख्य आरोपित पुलिस से बर्खास्त हेड कांस्टेबल गगनदीप सिंह था। वह ब्लास्ट में मारा गया। एसटीएफ ने नारकोटिक्स ड्रग के मामले में गगनदीप को गिर 2019 में गिरफ्तार किया था।

डीजीपी ने कहा कि लुधियाना ब्लास्ट बहुत श​क्तिशाली था। मौके से हमें काफी लीड मिले। मृतक के हाथ पर हमें टैटू मिला। इस टैटू से ही उसकी पहचान हुई है। वह विस्फोटक लेकर आ रहा था। इसी दौरान ब्लास्ट हो गया। जांच में पुलिस को पुख्ता सबूत मिले हैं। डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय का कहना है कि धमाके का उद्देश्य पंजाब की शांति भंग करना था, लेकिन पुलिस ने घटना के मास्टरमाइंड के पता कुछ ही घंटों में लगा दिया।
लुधियाना के जिला अदालत परिसर में बीते वीरवार को हुए बम धमाके के मामले में पुलिस ने चार संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया है। जांच में सामने आया है कि पाकिस्तान में बैठे बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआइ) के आतंकी रिंदा संधू ने पंजाब पुलिस के बर्खास्त हेड कांस्टेबल गगनदीप से ब्लास्ट करवाया था। गगनदीप नशा तस्करी के केस में बर्खास्त था और ढाई महीने पहले ही जमानत पर बाहर आया था। इस घटना में पाकिस्तान से संचालित खालिस्तान समर्थक आतंकी संगठनों का हाथ सामने आया है।
बता दें, गगनदीप को वर्ष 2019 में हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया गया था। वह दिल्ली से हेरोइन लाने वाले नाइजीरियाई तस्करों के संपर्क में था। वह उनसे हेरोइन लेकर आगे सप्लाई करता था। मामले में जब वह जेल गया तो उसके लिंक बब्बर खालसा इंटरनेशनल से जुड़े। गगनदीप वर्ष 2011 में पंजाब पुलिस में बतौर कांस्टेबल भर्ती हुआ था। इस दौरान वह खन्ना, माछीवाड़ा व समराला में तैनात रहा। गगनदीप का भाई प्रीतम सिंह रिंकू पहलवान भी नशा तस्करी में शामिल रहा है। दोनों भाई एक ही मकान में रहते थे।
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