5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए DGHS ने गाइडलाइंस की जारी, बोले- मास्क पहनना जरूरी नहीं
कोरोना की दूसरी लहर में हुए फर्जीवाड़े के बाद अब तीसरी लहर की चिंता की ओर बढ़ते हैं.
कोरोना की दूसरी लहर में हुए फर्जीवाड़े के बाद अब तीसरी लहर की चिंता की ओर बढ़ते हैं. कल हमने आपको दिखाया कि बच्चे भी बड़ों की ही तरह कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं.लेकिन बहुत सारे बच्चों या उनके पेरेंट्स को इसके बारे में पता नहीं चल पा रहा है. क्योंकि उनमें mild symptoms या फिर कोई भी लक्षण नहीं होते हैं और क्योंकि ऐसे बच्चों में एंटीबॉडी भी देखी जा रही है तो अब तीसरी लहर से डरने की जरूरत नहीं है.
बस सावधान रहने की दरकार है तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए ही केंद्र सरकार ने बच्चों के लिए गाइडलाइंस जारी की है. ये गाइडलाइंस Director General of Health Services यानी DGHS ने तैयार की है. जिसके मुताबिक संक्रमित बच्चों को एंटी वायरल रेमडेसिविर नहीं दी जाए.क्योंकि 3 साल से 18 साल के बच्चों में इसके इस्तेमाल से सफलता मिलने के पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.इसलिए इसके उपयोग से बचना चाहिए.
HRCT का इस्तेमाल सोच समझकर करें
DGHS की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों में ये भी कहा गया है कि बच्चों में स्टेरॉयड्स के इस्तेमाल से परहेज़ करना चाहिए. केवल अस्पताल में भर्ती गंभीर मामलों के बच्चों के इलाज में ही कड़ी निगरानी के तहत स्टेरॉयड दवाओं के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है.इसके अलावा ये भी कहा गया है कि हाई रेजोल्यूशन सीटी यानी HRCT का इस्तेमाल भी बेहद सोच समझकर किया जाना चाहिए ताकि किसी पर इसका गलत असर ना पड़े. DGHS के मुताबिक कोविड एक वायरल इन्फेक्शन है, ऐसे में जटिल कोरोनना के इलाज में इस्तेमाल होने वाले antimicrobials का भी बच्चों के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
बिना लक्षण वाले कोरोना पीड़ित बच्चों के लिए किसी खास इलाज की बात नहीं कही गई है. हालांकि, कोविड गाइडलाइन्स का पालन और पौष्टिक खाना देने की सलाह दी गई है.लेकिन अगर किसी बच्चे में कोरोना के गंभीर लक्षण हैं तो ऑक्सीजन थेरेपी की सलाह दी गई है. 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए 6 मिनट का वॉक टेस्ट का सुझाव है और 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए मास्क को अनिवार्य नहीं बताया गया है. अब यहां ये बात कई माता-पिता को खटक रही है कि जब वो करीब डेढ़ साल से अपने बच्चों को मास्क पहना रहे हैं और दूसरी लहर में तो डबल मास्क भी पहनाया जाने लगा तो इस गाइडलाइन के मुताबिक बच्चों के मास्क पर मनाही क्यों कर दी गई.
अगर वो इस गाइडलाइन को मानकर मास्क ना पहनें और संक्रमित हो जाएं तो फिर क्या होगा? आखिर बच्चों को मास्क ना पहनाने के निर्देश के पीछे का कारण क्या है..ये हमने कई बड़े चाइड स्पेशियलिस्ट्स से पूछा जवाब क्या मिला सुनिए तो इसीलिए केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन ये भी कहती है कि अगर 5 साल से ऊपर का बच्चा भी मास्क पहन रहा है तो भी माता-पिता की देखरेख जरूरी है. बहरहाल तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों ने तैयारियां तेज कर दी हैं.लगभग हर शहर में बच्चों के लिए कोविड वॉर्ड्स बनाए जा रहे हैं. जल्द से जल्द वैक्सीन लाने की तैयारी चल रही है क्योंकि अब जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक तीसरी लहर अगस्त के महीने में ही आ सकती है.
अगस्त महीने में कोरोना की तीसरी लहर
तीसरी लहर में नौनिहालों के ज्यादा संक्रमित होने की भविष्यवाणी हुई तो देश भर में बच्चों के कोरोना इलाज की तैयारी तेज हो गई.हर राज्य के अस्पतालों में चाइल्ड कोविड वॉर्ड बनाए जाने लगे.स्पेशल मेडिकल टीम बनाई जाने लगीं बच्चों की वैक्सीन के ट्रायल को भी मंजूरी दी गई क्योंकि जब दूसरी लहर पीक पर थी तो एक्सपर्ट्स ने कहा था कि सितंबर-अक्टूबर के महीने में तीसरी लहर आ सकती है. लेकिन अब जानकार बताते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर अगस्त के महीने में आ सकती है.
हमें शासन से बताया गया है, मिड अगस्त में आ सकती है, कोरोना की तीसरी लहर इसीलिए तेज़ी से बच्चों की सैंपलिंग कर रहे हैं. 9 दिन में 9000 बच्चों की सैंपलिंग की है.इस तरह की बाइट है करीब 20 सेकंड की तो सुना आपने पहले की भविष्यवाणी से पहले ही कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है..यानी अभी से दो महीने बाद लेकिन यहां सवाल उठता है कि आखिर,तो हमने इसके जवाब के लिए अपने आसपास को बारीकी से टटोला.
कोरोना की थर्ड वेव अनुमान से पहले क्यों आ सकती है?
दरअसल राज्यों में लॉकडाउन और 130 करोड़ देशवासियों के संयम के बूते भारतवर्ष ने कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पाया..लेकिन जैसे ही राज्यों ने अनलॉक करना शुरू किया लोगों का अनुशासन टूटने लगा.कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ने लगीं.घरों से निकलते ही लोग दो गज की दूरी का ध्यान रखना भूल गएऔर ये भी भूलने लगे कि खुद को और दूसरों को बचाने के लिए मास्क जरूरी है या नहीं? इसिलिए लापरवाही की ऐसी तस्वीरें दिखाकर हम लगातार लोगों को सावधान करते हैं.आज भी हमने ये पड़ताल की कि अनलॉक होते हिंदुस्तान का कोविड विहेव कैसा है?
दिल्ली में पहले फैक्ट्रियां खुलीं..कंस्ट्रक्शन खुले और फिर हाट-बाजार और दफ्तरों को खोला गया..मेट्रो रेल भी अब दौड़ रही है और अप्रवासी मजदूर भी गांव घरों से लौट रहे हैं..और इन सबके चलते इंसानों से लेकर गाड़ियों तक की भीड़ लग रही है..और इस भीड़ में कोरोना नियमों को कुचला जा रहा है. तो देखा आपने वही लोग जो हफ्ते, दो हफ्ते पहले संयम से घरों में थे.अनलॉक होते ही अनुशासन तोड़ना शुरू कर दिया. मुंबई में भी करीब करीब ऐसा ही हाल दिखा.
कोरोना कोई भेदभाव नहीं करता
हम शुरुआत से ही कह रहे हैं कि कोरोना कोई भेदभाव नहीं करता ना तो अमीर गरीब का ना ही बड़े छोटों का इसीलिए ध्यान रखिए कि जब भी आप भीड़ में होंगे तो वहां कोरोना भी हो सकता है और जब भी आप मास्क या हैंड सैनिटाइजेशन का ध्यान नहीं रखेंगे तो कोरोना आपके साथ आपके घर भी जा सकता है.इसीलिए वैक्सीन आ जाने के बाद भी आपको, हमको, सबको ख्याल यही रखना है कि मास्क पहने, सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करें और बार हाथ को सैनिटाइज करते रहें.
तो आपने देखा कि जिस तीसरी लहर में सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को लेकर कहा जा रहा है.वो दरअसल हमरी और आपकी लापरवाहियों की वजह से दस्तक दे सकती है.अब तीसरी लहर की आशंका के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य महानिदेशालय ने बच्चों में ब्लैक फंगस को लेकर भी गाइडलाइन जारी की है सबसे पहले आपको इसके लक्षण बता देते हैं.बच्चों के चेहरे या साइनस में सूजन या दर्द आंखों में कंजंक्टिवाइटिस इन्फेक्शन दांतों का ढीला होना या दर्द देना
सीने और सिर में दर्द
इसके अलावा इसके अलावा बच्चों में अगर पेट संबंधित शिकायत होती है तो वो भी ब्लैक फंगस के लक्षण बताए गए हैं. ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य महानिदेशालय का निर्देश है कि अगर बच्चों में ये लक्षण दिखें तो बहुत अधिक टेस्ट का इंतजार किए बिना एग्रेसिव ट्रीटमेंट शुरू कर देनी चाहिए.