भारत में हरे सोया की मांग बढ़ती जा रही है, किसानों को हो रहा मोटा मुनाफा
सोया के पत्ते, टहनियों और बीजों में तेज सुगंध होती है. बीज से निकलने वाले तेल का उपयोग दवा बनाने में किया जाता है. सोया की 100 ग्राम पत्ती में 7 ग्राम पानी, 20 ग्राम प्रोटीन, 4 ग्राम वसा, 44 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स, 12 ग्राम रेशा और 60 मिली ग्राम एस्कोर्बिक एसिड पाया जाता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सोया (Fennel) एक औषधीय पौधा (Medicinal Plant) है, जिसका इस्तेमाल सब्जी, सलाद और दवाई बनाने में किया जाता है. इस मौसम में यह बाजार में आसानी से यह मिल जाता है. सोया सौंफ की तरह ही दिखने वाला एक पौधा है. वर्तमान समय में इसकी खेती का रकबा बढ़ता जा रहा है. समय के साथ इसकी मांग में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. हालांकि अभी यह होटल, रेस्टोरेंट और बड़े शहरों में ही इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन बदलते जीवन शैली ने किसानों (Farmers) के लिए मुनाफे के द्वार खोल दिए हैं. ऐसे में अगर किसान चाहें तो गैर परंपरागत सब्जी उगाकर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं.
शुरुआत में किसान सोया के साथ अन्य सह फसली सब्जियां उगा सकते हैं. इस पौधे के पत्ते, टहनियों और बीजों में तेज सुगंध होती है. बीज से निकलने वाले तेल का उपयोग दवा बनाने में किया जाता है. देखने में इसके पत्ते सौंफ जैसे लगते हैं. इसके बीज से निकलने वाले वाष्पशील तेल का प्रयोग ग्राइव वाटर बनाने में किया जाता है. सोया की 100 ग्राम पत्ती में 7 ग्राम पानी, 20 ग्राम प्रोटीन, 4 ग्राम वसा, 44 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स, 12 ग्राम रेशा और 60 मिली ग्राम एस्कोर्बिक एसिड पाया जाता है.
सोया की खेती से जुड़ी जरूरी बातें
इसकी पैदावार अच्छी मिले, इसके लिए उस क्षेत्र की जलवायु समशीतोष्ण होनी चाहिए. इसका मतलब हुआ कि तापमान न ज्यादा हो और न ही कम. इसे पहाड़ी क्षेत्रों में खरीफ सीजन में और उत्तर भारत में शरद ऋतु में उगाया जाता है.
सोया की खेती हल्की बलुई मिट्टी को छोड़कर हर तरह की जलनिकासी वाली मिट्टी में की जा सकती है. इसकी बुवाई मध्य सितंबर से मध्य अक्टूबर के बीच की जाती है. वहीं बीजों की मात्रा और दूरी पर बात की जाए तो 4 किलो बीज प्रति हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र के लिए पर्याप्त होता है. वहीं असिंचित क्षेत्र के लिए प्रति हेक्टेयर 5 किलो बीज की जरूरत होती है. रोपाई के समय कतार से कतार की दूरी 30 से 40 सेंटी मीटर और पौध से पौध की दूरी 20 से 30 सेंटी मीटर रखनी चाहिए.
सोया की फसल को तीन से चार सिंचाई की जरूरत पड़ती है. बेहतर देखभाल और खर-पतवार प्रबंधन करने से बेहतर उत्पादन प्राप्त होता है. बुवाई से 30 से 40 दिन बाद किसान फसल की पहली कटाई कर सकते हैं. सबसे अच्छी बात है कि सोया की खेती के साथ ही किसान अन्य सब्जियों की खेती भी कर सकते हैं. इससे उनकी आमदनी के कई स्रोत हो जाएंगे और उन्हें लाभ मिलेगा.