Delhi: दिल्ली चुनाव मैं आसान नहीं होगा मतदाताओं को लालच देना

"आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि वोट के बदले लोगों को पैसे बांट रहे हैं"

Update: 2024-12-29 08:30 GMT

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी का आरोप है कि भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने नई दिल्ली इलाके में महिलाओं को जो पैसे बांटे हैं, उस पर राजनीति गर्म है। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि वोट के बदले लोगों को पैसे बांट रहे हैं। हालांकि प्रवेश वर्मा ने कहा कि उनकी संस्था जरूरतमंदों को मदद करती है और उन्होंने अपने अकाउंट और संस्थान की ओर से महिलाओं को मदद की है। प्रवेश वर्मा नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दावेदारी का दावा पेश कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली इलाके की महिलाओं ने कहा कि प्रवेश वर्मा के घर से उन्हें लाडली योजना के तहत रजिस्ट्रेशन कार्ड और 1100 रुपये दिए गए हैं। इस मामले में गलत मंशा से वोटरों को प्रभावित करने का आरोप लगाते हुए एक शख्स ने पुलिस को शिकायत भी की है।

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विकास सिंह कहते हैं कि अगर कहीं भी चुनाव होने वाला है और वहां किसी पार्टी का कैंडिडेट चुनाव से पहले वोटरों को लुभाने के लिए पैसा या कोई और मुफ्त सौगात बांटता है तो यह अनुचित तरीके से प्रभावित करने का मामला बनता है। अगर कोई शख्स देश के किसी हिस्से में अपने कमाए गए पैसे बांटता है और वहां चुनाव नहीं होने जा रहा है तो यह कोई अपराध नहीं है और कोई भी किसी की मदद कर सकता है। लेकिन कोई शख्स वहां पैसे बांटता है जहां चुनाव होने वाला है और उसी इलाके में वह कैंडिडेट भी होने जा रहा है तो यह करप्ट प्रैक्टिस के दायरे में आएगा। आचार संहिता लागू होने के पहले भी चुनाव से पहले ऐसा करना सही नहीं हो सकता है।

लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल पीडीटी आचारी कहते हैं कि अगर कोई चुनावी कैंडिडेट चुनाव से ठीक पहले अपने इलाके में पैसा बांटता है और वह पैसा अकाउंटेड मनी भी है तो यह अनुचित तरीके से प्रभावित करने का मामला बनता है। पैसा अगर अकाउंटेड नहीं है तो यह मामला इनकम टैक्स को देखना है कि पैसा कहां से आया है। लेकिन पैसा अगर अकाउंटेड भी है और कोई अपनी गाढ़ी कमाई से पैसा बांटता है और वह शख्स उस इलाके का कैंडिडेट है या बनता है तो फिर यह अनड्यू एन्फ्लूएंस (अनुचित तरीके से प्रभावित) का केस बनता है। यह करप्ट प्रैक्टिस के दायरे में आएगा। अगर आचार संहिता लागू हो चुका हो तो तब तो आचार संहिता के उल्लंघन का अलग से केस बनता है

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