नई दिल्ली: दिल्ली के इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वीमेन में आंगनवाड़ी वर्कर्स, सुपरवाइजर, दिल्ली स्किल एंड एंत्रप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट्स व महिला एंत्रप्रेन्योर के साथ एक खास चर्चा आयोजित की गई। चर्चा के दौरान सुझाव मांगे गए कि कैसे दिल्ली में वीमेन एंत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ावा दिया जा सकता है।
गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में सफल महिला एंत्रप्रेन्योर श्रीधा सिंह और आयुषी गुद्वानी ने आंगनवाड़ी वर्कर्स को प्रेरित करने के लिए उनके साथ एंत्रप्रेन्योरशिप की अपनी यात्रा को भी साझा किया। इस मौके पर दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने कहा कि अपनी कनेक्टिविटी के कारण आंगनवाड़ी वर्कर्स, आम महिलाओं की जरूरतों से परिचित होती हैं। इसलिए इनके सुझाव दिल्ली में ‘वीमेन एंत्रप्रेन्योरशिप’ संबंधी नीतियां बनाने में कारगर साबित होंगे।
आंगनवाड़ी वर्कर्स ने लोगों से बातचीत के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि कोरोना के बाद गृहिणियों के लिए घर चलाना मुश्किल हो रहा है। लगातार बढ़ती महंगाई से पार पाने के लिए वे अब रोजगार के नए अवसर तलाश रही हैं। जब यह सुझाव मांगे गए कि सरकार वीमेन एंत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने के लिए क्या कर सकती है तो इस पर सभी महिला एंत्रप्रेन्योर व एक्सपर्ट्स ने कहा कि सरकार जरुरी प्रशिक्षण, ब्रांडिंग, मार्केटिंग और फाइनेंसियल नॉलेज देकर घरेलू महिलाओं की एंत्रप्रेन्योर बनने के सफ़र में मदद कर सकती है। साथ ही दिल्ली भर में फैले आंगनवाड़ी केंद्र इस पूरी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जहां से महिलाओं को अपने एंटरप्राइज शुरू करने में मदद मिलेगी।
इस मौके पर बतौर अतिथि उपस्थित महिला एंत्रप्रेन्योर श्रीधा सिंह (फाउंडर- द आयुर्वेद कंपनी) ने कहा कि जब मैं 9 साल की थी तो मेरे घर के हालात भी अच्छे नहीं थे। मन में ये जिद थी कि आगे चलकर एंत्रप्रेन्योर बनना है और घर के हालातों को सही करना है। 14 साल की उम्र में मुझे, मेरी मां और भाई को घर से निकाल दिया गया। तब, मैं मैकडॉनल्ड्स में काम करने लगी और स्कूल के बाहर बर्गर बेचने लगी। उन्होंने कहा कि सपने जो बंद आंखों से देखता है, उसे नींद कहते हैं और जो खुली आंखों से देखता है, जो उसे पूरा करता है, उसे एंत्रप्रेन्योर कहते हैं। उन्होंने कहा कि एंत्रप्रेन्योर कोई भी बन सकता है। उसके लिए डिग्री और जेंडर मायने नहीं रखती है। बस, जूनून होनी चाहिए।