दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को दिया आदेश, ब्लैक फंगस के इलाज में दवाएं बांटने को लेकर तय की जाए नीति

दिल्ली उच्च न्यायालय (High Court) ने मंगलवार को केंद्र को ब्लैक फंगस के उपचार

Update: 2021-06-01 15:16 GMT

 दिल्ली उच्च न्यायालय (High Court) ने मंगलवार को केंद्र को ब्लैक फंगस के उपचार में उपयोगी लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी के बांटने के लिये नीति बनाने और मरीजों की प्राथमिकता बताने का निर्देश दिया ताकि सभी नहीं तो, कुछ जिंदगियां बचायी जा सकें. उच्च न्यायालय ने कहा कि दवा देते समय यह ध्यान रखा जाए कि जिनके जीवित रहने की बेहतर संभावना है, उन्हें कम आयु वर्ग के लोगों को, उन वृद्धों की तुलना में प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिन्होंने अपनी जिंदगी जी ली है.

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि केंद्र अपनी नीति में यह अपवाद कर सकता है कि जो शीर्ष पदों पर राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं और जिसकी सुरक्षा उनकी अहम भूमिकाओं के चलते जरूरी है, उन्हें यह दवा दी जाए. उसने कहा कि इस दवा की दिल्ली समेत पूरे देश में पिछले दो सप्ताह से कमी है.
केंद्र ने दवा के 19,420 वायल्स भेजे
अदालत ने कहा कि यह सही वक्त है कि विभिन्न रोगों के मरीजों के उपचार के लिए दिशानिर्देश तय करने वाली भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ब्लैक फंगस के उपचार के सिलसिले में लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन -बी, एम्फोटेरिसिन -बी, और पोसाकोनाजोन के इस्तेमाल को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करे.हाल ही में केंद्रीय उर्वरक और रसायन मंत्री सदानंद गौड़ा ने ट्वीट कर जानकारी दी थी कि केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एम्फोटेरिसिन-बी के 19,420 अतिरिक्त वायल्स भेजे हैं. उम्मीद है कि इससे देशभर में ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज में काफी मदद मिलेगी. इससे पहले 21 मई को भी सरकार ने एम्फोटेरिसिन-बी के 23,680 वायल्स को बांटा था.
एम्फोटेरिसिन-बी एक एंटी फंगल इंजेक्शन है, जिसे ब्लैक फंगस के इलाज में काफी कारगर माना जा रहा है. म्यूकोर्मिकोसिस एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन है जिसे बोलचाल की भाषा में ब्लैक फंगस के नाम से पहचाना जाता है. ये संक्रमण म्यूकर मोल्ड के संपर्क में आने से होता है जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद और सड़ने वाले फलों और सब्जियों में पाया जाता है.
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