ट्रांसजेंडरों के लिए अलग शौचालय बनाने का निर्देश देने की मांग, दिल्ली हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में सोमवार को जनहित याचिका दायर कर ट्रांसजेंडरों के लिए अलग शौचालय बनाने का निर्देश अधिकारियों को देने की मांग की गई है.

Update: 2021-07-26 09:43 GMT

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में सोमवार को जनहित याचिका दायर कर ट्रांसजेंडरों के लिए अलग शौचालय बनाने का निर्देश अधिकारियों को देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि उनके लिए अलग शौचालय आवश्यक हैं ताकि वे यौन हमले और उत्पीड़न का शिकार नहीं बनें. इस पर अब अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में आदेश दिया था कि ट्रांसजेंडरों के लिए अलग शौचालय का निर्माण किया जाना चाहिए, लेकिन अभी तक मैसूर, भोपाल और नागपुर जैसे शहरों में ही ऐसे शौचालयों का निर्माण किया गया है. उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में प्रदेश सरकार ट्रांसजेंडर को एक बड़ी सौगात दे चुकी है, जिसके तहत शहर की सफाई में ट्रांसजेंडरों की भी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने वाराणसी के कामाक्षा इलाके में प्रदेश के पहले ट्रांसजेंडर शौचालय का निर्माण कराया है. यह उत्तर प्रदेश में पहला ट्रांसजेंडर शौचालय है.
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ ने इस याचिका पर आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, दिल्ली सरकार, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद्, पूर्वी दिल्ली नगर निगम, दक्षिण और उत्तरी दिल्ली नगर निगम को नोटिस जारी किए हैं. इन सभी को 13 सितंबर से पहले नोटिस के जवाब देने का निर्देश दिया गया है.
'लैंगिक आधार पर शौचालय न होना SC के निर्देशों के खिलाफ'
याचिका में कहा गया है कि लैंगिक आधार पर शौचालय नहीं होना सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ है. प्राधिकरणों के वकील ने निर्देश हासिल करने और जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा जिसके बाद अदालत ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 13 सितंबर तय की.
कानून की अंतिम वर्ष की छात्रा जसमीन कौर छाबड़ा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने फंड जारी कर दिया है लेकिन, दिल्ली में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अलग शौचालय नहीं बनाए गए हैं. इसमें बताया गया है कि मैसूर, भोपाल और लुधियाना में उनके लिए अलग शौचालय पहले ही बनाए जा चुके हैं लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में अभी तक इस दिशा में पहल नहीं की गई है.
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