दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के तहत आरोपी एक व्यक्ति को यह कहते हुए जमानत दे दी है कि अदालत इस बात से संतुष्ट है कि याचिकाकर्ता पीएमएलए की धारा 3 के तहत अपराध का दोषी नहीं है। न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की एकल पीठ ने कहा, इस बात पर विचार करते हुए कि निचली अदालत के समक्ष अभियोजन शिकायत दायर की गई है कि याचिकाकर्ता ने जांच में भौतिक रूप से सहयोग किया है और जमानत पर रहने के दौरान याचिकाकर्ता के पीएमएलए के तहत अपराध करने की संभावना नहीं है।
जमानत अर्जी रमेश मंगलानी द्वारा दायर की गई थी। इसमें नियमित जमानत की मांग की गई थी। ऐसा आरोप था कि आरोपी व्ययक्तियों ने मैसर्स लिगारे एविएशन लिमिटेड (लिगारे एविएशन) से 2014-15 में नकली/काल्पनिक चालानों के आधार पर 18.88 करोड़ रुपये की राशि की हेराफेरी की थी।