दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फिलहाल नहीं मिलेगी अंतरिम जमानत

Update: 2024-05-07 09:40 GMT

फाइल फोटो

नई दिल्ली: दिल्ली शराब घोटाले में गिरफ्तार किए गए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई. कोर्ट ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर कोई फैसला नहीं दिया है. इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया गया है.
कोर्ट ने समय की कमी के कारण इस मामले पर कोई आदेश नहीं दिया. सुप्रीम कोर्ट नौ मई को इस पर अगली सुनवाई कर सकता है. केजरीवाल ने शराब घोटाले मामले में अपनी गिरफ्तारी को कोर्ट में चुनौती दी थी. इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि हम अंतिम आदेश देने से पहले अक्सर अंतरिम आदेश जारी करते हैं. हम इस बात पर नहीं जा रहे हैं कि वो राजनीतिक व्यक्ति हैं या नहीं. हम बल्कि ये देख रहे हैं कि ये केस सही है या नहीं. इसमें असाधारण मामले में जमानत पर विचार किया जा सकता है या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाता है तो उन्हें आधिकारिक कामकाज करने की अनुमति नहीं होगी.
पीठ ने कहा कि हमने अंतरिम जमानत पर दोनों पक्षों को सुना है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केजरीवाल के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा था कि क्या केजरीवाल को जमानत मिलने के बाद वह सरकारी फाइलों पर दस्तखत करेंगे या मुख्यमंत्री होने के नाते दिशानिर्देश देंगे. इस पर सिंघवी ने कहा था कि उनके मुवक्किल दिल्ली शराब नीति मामले में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेंगे. कोर्ट ने कहा था कि हम नहीं चाहते कि वह सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करें.
केजरीवाल के वकील का कहना था कि उनके मुवक्किल आतंकवादी नहीं है. वह कानून तोड़ने वाले नहीं है इसलिए उन्हें अंतरिम जमानत मिलनी चाहिए. इस पर जमानत का विरोध करते हुए ईडी ने कहा था कि क्या नेताओं के लिए अलग अपवाद होंगे? क्या चुनावों में प्रचार करना जरूरी है?
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने मामले पर सुनवाई की. ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि जब हमने जांच शुरू की थी तो हमारी जांच सीधे तौर पर केजरीवाल के खिलाफ नहीं थी इसलिए शुरुआत में उनसे जुड़ा एक भी सवाल नहीं पूछा गया. जांच उन पर केंद्रित नहीं थी. जांच के दौरान उनकी भूमिका सामने आई.
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ईडी से कई सवाल पूछे थे. कोर्ट ने पूछा था कि चुनाव से पहले ही केजरीवाल की गिरफ्तारी क्यों हुई? केजरीवाल केस में क्या कुर्की हुई है? मामले में कार्रवाई और गिरफ्तारी के बीच लंबा वक्त क्यों रहा?
एएसजी एसवी राजू ने कहा कि मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज होने के बाद 1100 करोड़ रुपये अटैच किए जा चुके हैं. इस पर कोर्ट ने पूछा कि मिस्टर राजू, दो सालों में 1100 करोड़ कैसे हो गए? आपने पहले कहा था कि 100 करोड़ रुपये का मामला है. इस पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि ऐसा शराब पॉलिसी के फायदे की वजह से हुआ. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि पूरी आय अपराध की आय कैसे हुई?
सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले की फाइल भी ई़डी से मांगते हुए कहा था कि दो सालों से जांच चल रही है. ये किसी भी जांच एजेंसी के लिए सही नहीं है कि दो सालों तक इस तरह जांच चले.
एसवी राजू ने कहा कि हमें पता चला कि अरविंद केजरीवाल के गोवा चुनाव के दौरान 7 सितारा होटल में रुकने के खर्च का कुछ हिस्सा उस व्यक्ति ने चुकाया था, जिसने शराब कंपनियों से नकद पैसे लिए थे. हम दिखा सकते हैं कि केजरीवाल ने 100 करोड़ रुपये मांगे थे. किसी भी आरोपी या गवाह के बयानों में केजरीवाल को दोषमुक्त करने वाला एक भी बयान नहीं है.
जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा कि बयानों में केजरीवाल का नाम पहली बार कब लिया गया? इस पर एसवी राजू ने कहा कि 23 फरवरी 2023 को बुची बाबू के बयान में उनका नाम सामने आया था.
इस पर कोर्ट ने पूछा कि आपको इतना समय क्यों लगा? हमारा सवाल है कि आपने देरी क्यों की? एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर हम शुरुआत में ही केजरीवाल के बारे में पूछना और उनकी जांच शुरू कर देते तो गलत लगता. केस को समझने में समय लगता है. बातों की पुष्टि करनी होती है.
जस्टिस खन्ना ने कहा था कि चुनाव का मौसम है. ये असाधारण स्थिति है. वो दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं. इनके खिलाफ कोई केस भी नहीं है. उनके इस बयान का विरोध जताते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि क्या कोई सीएम है, ऐसा नहीं हो सकता. क्या हम नेताओं के लिए अपवाद बना रहे हैं? क्या चुनाव के लिए प्रचार करना ज्यादा महत्वपूर्ण है?
जस्टिस खन्ना ने कहा था कि यह अलग बात है. चुनाव पांच साल में एक बार होते हैं. हमें यह पसंद नहीं है. एसजी तुषार मेहता ने कहा कि वह छह महीने तक समन टालते रहे. अगर पहले सहयोग करते तो हो सकता था कि गिरफ्तारी ही ना होती.
दिल्ली के कथित शराब घोटाले में ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. इससे पहले ईडी ने उन्हें मामले में पूछताछ के लिए 9 समन जारी किए थे. हालांकि, केजरीवाल किसी भी समन पर पेश नहीं हुए थे. केंद्रीय जांच एजेंसी का आरोप है कि वह घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता थे और सीधे तौर पर शराब कारोबारियों से रिश्वत मांगने में शामिल थे. इन आरोपों को खारिज करने वाली AAP कहती रही है कि दिल्ली में कोई नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा और मुख्यमंत्री केजरीवाल जेल से ही सरकार चलाएंगे.
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