रक्षा मंत्रालय ने टॉप लेवल कोस्ट गार्ड प्रमोशन में हुई जालसाजी के खिलाफ जॉइंट सेक्रेटरी स्तर की जांच का दिया आदेश

रक्षा मंत्रालय

Update: 2021-09-06 14:14 GMT

रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने टॉप लेवल कोस्ट गार्ड प्रमोशन (Top Level Coast Guard Promotion) में हुई जालसाजी के मामले में जॉइंट सेक्रेटरी लेवल (Joint Secretary Level) की जांच के आदेश दिए हैं. दरअसल इस मामले में आरोप है कि अतिरिक्त महानिदेशक (Additional Director General) के पद पर महानिरीक्षक रैंक के अधिकारियों (Inspector General-rank officers) को कंसीडर किया गया.

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि जैसे ही मामले की सूचना मिली, इस पर तुरंत संज्ञान लेते हुए प्रमोशन को तुरंत खारिज कर दिया गया और आरोपों की जांच के लिए जॉइंट सेक्रेटरी लेवल की जांच के आदेश दिए गए. इस तरह के भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा सचिव अजय कुमार ने जीरो टोलरेंस की नीति अपनाई है. पहले भी इस तरह के मामलों पर सख्त कदम उठाए गए हैं.
जुलाई में शुरू हुआ था विवाद
सूत्रों की मानें तो पूरा विवाद जुलाई में उस वक्त शुरू हुआ जब अतिरिक्त महानिदेशक के पद के लिए वैकेंसी पोस्ट की गई है. आरोप है कि बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेजों और रक्षा मंत्रालय के अभिलेखों में मूल दस्तावेजों में संबंधित अधिकारियों को दिए गए अंकों में विसंगति थी.
बर्खास्त हो सकते हैं अधिकारी
रक्षा मंत्रालय का रक्षा विभाग भारतीय तटरक्षक बल का मूल मंत्रालय है, जबकि अन्य तीन सेवाओं की देखभाल अब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के अधीन सैन्य मामलों के विभाग द्वारा की जाती है. जानकारी के मुताबिक अगर जालसाजी के आरोप साबित हो जाते हैं, तो भारतीय तटरक्षक अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अधिकारियों को बर्खास्त भी किया जा सकता है.
भारतीय तटरक्षक बल रक्षा मंत्रालय के तहत सबसे कम उम्र का बल है. 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार के तहत इसे महानिदेशक के रूप में कैडर अधिकारी मिला. इस बल की कमान पहले भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल के पास थी.


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